मेरी 'आत्मा' ने मुझे बीसीसीआई प्रमुख बने रहने की अनुमति दी : श्रीनिवासन

उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में वापसी करने वाले आलोचनाओं में घिरे एन श्रीनिवासन ने कहा कि उनकी अंतररात्मा साफ थी और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा इसलिये नहीं दिया क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था।

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में वापसी करने वाले आलोचनाओं में घिरे एन श्रीनिवासन ने कहा कि उनकी अंतररात्मा साफ थी और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा इसलिये नहीं दिया क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था।
यह पूछने पर कि क्या उनकी अंतररात्मा ने उन्हें बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर बने रहने की अनुमति दी जबकि उनके दामाद और चेन्नई सुपरकिंग्स के प्रिंसिपल गुरूनाथ मय्यपन पर मुंबई पुलिस द्वारा आईपीएल छह स्पाट फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण के संबंध में आरोप पत्र दायर किया गया। श्रीनिवासन ने कहा कि नैतिकता का कोई मुद्दा नहीं था क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया।
श्रीनिवासन ने कहा कि निश्चित रूप से अगर मैं ऐसा महसूस नहीं करता तो मैं इस पद पर जारी नहीं रहता। जैसा कि मैंने शुरू में कहा है कि मैं जो करता हूं, उस पर बना रहता हूं। अगर मैंने कुछ गलत किया होता, तो हां, मेरी अंतररात्मा इसकी अनुमति नहीं देती। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं था, यही मैंने शुरू से कहा है।
श्रीनिवासन ने एक न्यूज चैनल से कहा कि अगर हम इस रास्ते पर यात्रा करना चाहते हैं तो एक मायने में एक हम दूसरे से अलग हैं। श्रीनिवासन को राहत देते हुए कल उच्चतम न्यायालय ने उन्हें बीसीसीआई अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने की अनुमति दे दी, हालांकि इसने पंजाब एवं हरियाणा के मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति गठित की जो उनके दामाद और राजस्थान रायल्स के मालिकों के खिलाफ सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग के आरोपों की जांच करेगी।
उन्होंने कहा कि आपको समझना होगा कि मैं गुरूनाथ की जांच में शामिल नहीं था। जब यह मुद्दा उठा तो मैं अपने पद से अलग हो गया था। इन दोनों न्यायाधीशों को बीसीसीआई ने मेरे पद से अलग होने के बाद नियुक्त किया था। मैंने समिति नियुक्त नहीं की थी। मैं तब बीसीसीआई का अध्यक्ष नहीं था। (एजेंसी)

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