केजरीवाल ने CM पद से दिया इस्तीफा, विधानसभा भंग करने और चुनाव कराने की सिफारिश
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केजरीवाल ने CM पद से दिया इस्तीफा, विधानसभा भंग करने और चुनाव कराने की सिफारिश

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने केजरीवाल के इस्तीफे की पुष्टि की है।

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नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पेश नहीं हो पाने के बाद शुक्रवार रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीतिक दांव खेलते हुए विधानसभा को भंग करने तथा नए सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश कर दी।
सत्ता में 49 दिन की अपनी उतार-चढ़ाव भरी यात्रा को समाप्त करते हुए मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक हुई जिसमें सरकार ने इस्तीफा देने और उपराज्यपाल से सिफारिश करने का फैसला किया जिनकी सलाह के खिलाफ केजरीवाल ने विधानसभा में विधेयक पेश करने का प्रयास किया था।
केजरीवाल और जंग के बीच समीकरण आज से पहले तक तो ठीकठाक चल रहे थे लेकिन शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वह केंद्र सरकार के वायसराय की तरह काम करते हैं जो सोचती है कि अब भी ब्रिटिश सरकार है।
इससे पहले आज दिन में जंग ने विधानसभा को जन लोकपाल विधेयक पेश नहीं करने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि इसके लिए पहले केंद्र सरकार की मंजूरी लेना जरूरी है। मतदान के बाद केजरीवाल और उनके मंत्रियों के लिए उस धमकी पर अमल करने का ही रास्ता बचा था जो पिछले एक हफ्ते से दे रहे थे और कह रहे थे कि लोकपाल विधेयक पारित नहीं होने पर सरकार से इस्तीफा दे देंगे। केजरीवाल ने अपने कार्यकाल में बिजली के दाम कम करने और मुफ्त पानी देने जैसे कुछ वायदों पर काम किया और कुछ फैसलों पर उन्हें समर्थन दे रही कांग्रेस से टकराव की स्थिति भी आई।
49 दिन की इस सरकार में कुछ विवाद भी सामने आए जिसमें कानून मंत्री सोमनाथ भारती द्वारा रात में छापामारी करना और पुलिस से टकराव होना प्रमुख रहा। केजरीवाल ने पार्टी समर्थकों से कहा कि कांग्रेस ने इसलिए जनलोकपाल विधेयक का विरोध किया क्योंकि उन्होंने शीला दीक्षित, केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली और अंबानी के खिलाफ मामले दर्ज कराके भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है।
उन्होंने कहा, ‘वे मेरा मजाक उड़ाते हुए कह रहे थे कि मेरे पास केवल भ्रष्टाचार निरोधक शाखा है लेकिन अगर जनलोकपाल विधेयक पारित हो जाता तो उनमें से आधे जेल चले जाते। उन्होंने सरकार को गिराने के लिए साजिश रची।’ केजरीवाल ने कहा, ‘अंबानी और मोइली के बाद (शरद) पवार की बारी आती और फिर कमलनाथ की। इसलिए केजरीवाल को हटाया गया है। मैं छोटा आदमी हूं। मेरी औकात क्या है। मैं यहां सत्ता के लिए नहीं आया।’
उन्होंने कहा कि सरकार ने बिजली के दाम में कमी की और मुफ्त पानी देने के साथ ही भ्रष्टाचार में भी तेजी से गिरावट लाई गई। केजरीवाल के मुताबिक, ‘हमने ईमानदारी से काम करने की कोशिश की लेकिन हम भी इंसान हैं। लोग कहते हैं कि हम सरकार नहीं चला सकते। 40 दिन में हमने भ्रष्टाचार को कम किया और शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की। वे कहते हैं कि सरकार चलाओ, मैं कहना चाहता हूं कि भ्रष्टाचार कम करना भी शासन चलाना है।’
उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं से कहा कि उनकी सरकार इस्तीफा दे रही है और यह कहते हुए उन्हें गर्व है कि लोकपाल के लिए वह 100 बार इस्तीफा देंगे तथा मुख्यमंत्री के पद को कुर्बान कर देंगे। देश के हित में ऐसा करते हुए मैं खुद को भाग्यशाली समझूंगा। मुख्यमंत्री ने संसद में सांसदों के आचरण पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली विधानसभा में भी ऐसा ही हुआ। भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों ने विधानसभा में जो किया वह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।
उन्होंने कहा, ‘वे कहते हैं कि विधेयक असंवैधानिक है। क्या माइक तोड़ना संवैधानिक है। हम देश, संविधान और देश के लोगों के लिए लड़ रहे हैं। हम उन्हें सबक सिखाएंगे। मैं संविधान के लिए अपनी जान कुर्बान करने को तैयार हूं। हम संविधान का पालन करेंगे जिसे अंबेडकर जैसे लोगों ने बनाया था।’ उन्होंने कहा, ‘वे कहते हैं कि संसद मंदिर है। क्या आप मंदिर जाते हैं और मूर्तियों को तोड़ते हैं। क्या आप चर्च जाते हैं और बाइबल फाड़ते हैं।’
अपना भाषण समाप्त करने से पहले उन्होंने कहा, ‘मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। हम छोटे लोग हैं। कृपया हमें आशीर्वाद दें और हमारा मार्गदर्शन करें। हमें देश के लिए बलिदान देने का अवसर दें।’ (एजेंसी)

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