ज़ी मीडिया ब्यूरो
कोल्हापुर/नई दिल्ली : देश के इतिहास में यह शायद पहली बार होगा जब किसी महिला को फांसी पर लटकाया जाएगा। महाराष्ट्र के कोल्हापुर की दो बहनों को 13 बच्चों का अपहरण कर उनमें से नौ की हत्या करने के मामले में जल्द ही फांसी दी जा सकती है। ऐसा होने पर वे भारत में फांसी की सजा पाने वाली पहली महिलाएं होंगी।
इन दो बहनों को 2001 में 13 बच्चों को अगवा करने और उनमें से 9 बच्चों की हत्या करने का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई गई है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दोषी बहनों रेणुका शिंदे और सीमा गावित की दया याचिकाओं को खारिज कर दिया है। दोषी बहनों और उनके परिजन को भी इस बारे में बता दिया गया है कि किसी भी वक्त उन्हें फांसी दी जा सकती है।
उन दोनों को फांसी दिए जाने का निर्देश राष्ट्रपति भवन से मिलने के बाद गृह मंत्रालय को एक निश्चित समय के अंदर उसके परिजनों या रिश्तेदारों को इस बारे में सूचित करना होता है, वह समय सीमा पिछले शनिवार को खत्म हो गई है।
गौर हो कि 1990 से 1996 के बीच बच्चों की हत्याओं के मामले में कोल्हापुर की इन दोनों बहनों को 2001 में मौत की सजा सुनाई गई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार स्वाधीनता के बाद से अब तक देश में 52 लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी है। इनमें कोई भी महिला नहीं थी।
रेणुका और सीमा अपनी मां अंजनाबाई गावित के साथ मिलकर गरीब बच्चों का पहले अपहरण करते थे और फिर उनसे जबरदस्ती भीख मंगवाते और चोरी करवाते थे। जो उनकी बात नहीं मानता था या उनके काम का नहीं होता था वे उनका कत्ल कर देते थे। इस समय दोनों बहनें पुणे के यरवदा जेल में हैं। उनकी मां अंजनाबाई की मामले की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई थी। बाप किरण शिंदे गवाह बन गया, जिसे बाद में छोड़ दिया गया।
दोनों बहनें हत्या करने के लिए बच्चों के सिर पर लोहे की रॉड से वार करने या गला दबाने जैसे निर्मम तरीके अपनाती थीं। दोनों अभी पुणे की यरवडा जेल में बंद हैं।