बिमल कुमार
सितंबर के पहले हफ्ते में नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में सौ दिन पूरे होने को हैं। इस अवधि के कामकाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शासन की शैली पर पकड़ और विदेश नीति से संबंधित कुछ अहम फैसलों से अपनी योग्यता बखूबी साबित की।
गौरतलब है कि बीते 26 मई को नरेंद्र मोदी ने देश के 15वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। पीएम मोदी ने अपने 100 दिन के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। खुद प्रधानमंत्री के शब्दों में उनकी अगुवाई वाली सरकार ने 100 दिनों के कार्यकाल में कई अहम निर्णय लिए हैं। इन निर्णयों का असर धीरे-धीरे देखने को मिल रहा है। जिक्र योग्य है कि मोदी की प्राथमिकता गुड गवर्नेंस (सुशासन) की रही है। अपने कार्यकाल के शुरुआत में मोदी सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि देश को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए अभी कुछ कठोर निर्णय लेने होंगे। इस कथन के पीछे मंशा यह थी कि अभी लिए गए निर्णयों का असर दूरगामी होगा। पीएम मोदी ने भी कहा कि पिछले दशक हमने बहुत कठिनाइयों में गुजारे हैं लेकिन अब खुशी है कि विकास दर में वृद्धि आई है।
मोदी सरकार के इतने दिनों के कार्यकाल में कई जरूरी कदम उठाए गए, जिसमें सरकार के आर्थिक, राजनीतिक, समाजिक, विदेश नीति अ आदि शामिल हैं। मोदी सरकार के शपथ लेते ही पड़ोसी देशों से संबंध सुधारने की पहल। सार्क देशों के तमाम प्रमुख शपथग्रहण समारोह का हिस्सा बनने के लिए दिल्ली आए। मोदी सरकार ने वेबसाइट के जरिए सभी जरूरी जानकारी और कदमों के बारे में जनता को अपडेट किया। कैबिनेट के गठन के समय इस बात को ध्यान में रखा गया मंत्रिमंडल का आकार बड़ा न हो और काफी मंत्रालयों को मिलाकर एक कर दिया गया।
सरकार ने पहला कदम कैबिनेट की बैठक बुलाकर कालेधन की जांच के लिए एसआईटी बनाने की पहल की। जिसके बाद यह उम्मीद बढ़ने लगी कि देर सबरे कालाधन देश में वापस लाया जाएगा। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों के दिशानिर्देश जारी किए। जिसमें जनहित को ध्यान में रखकर अफसरों को फैसले लेने की आजादी दी गई। इसके बाद पीएम ने सभी मंत्री समूहों (जीओएम) को खत्म कर दिया। मंत्रालयों और विभागों को मजबूत बनाने के लिए ये एक बड़ा कदम था। फिर संसद में अपने पहले भाषण में मोदी ने देशवासियों को भरोसा दिलाया कि आम जनता की उम्मीदों और सपनों को पूरा करने की हरसंभव कोशिश की जाएगी। इस कड़ी पार्टी सांसदों को भी निर्देश दिए गए कि वे संसदीय कार्यवाही में भाग लें और जनता के बीच जाकर उनकी समस्या को भी सुनें। इसके बाद मोदी सरकार ने कैबिनेट की चार स्टैंडिंग कमेटियों को बर्खास्त कर दिया। यूपीए सरकार के दौरान बनाई गई सुरक्षा, राजनीतिक मामलों, आर्थिक मामलों और संसदीय कार्य से जुड़ी अहम कैबिनेट कमेटियों का भी पुनर्गठन कर दिया गया।
देश के सबसे बड़े जंगी जहाज आईएनएस विक्रमादित्य को देश को समर्पित किए जाने के मौके पर प्रधानमंत्री ने संकेत किया कि देश की वित्तीय हालत संभालने के लिए कड़े आर्थिक फैसले लेने होंगे। इसके बाद अपने पहले विदेश दौरे के तहत वे भूटान गए। वहां मोदी ने संदेश दिया कि किसी भी देश में शांति तभी रह पाएगी जब उसके पड़ोसी देश से संबंध अच्छे होंगे। कड़े फैसले के तहत मोदी सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क और रेल किराये में बढ़ोतरी का फैसला भी लिया। मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को तीन मंत्र दिए। पहला, लोगों की शिकायतों पर जल्द कार्रवाई हो। दूसरा, राज्यों और केंद्र सरकार के बीच रिश्ते और मजबूत करने के लिए काम हो और तीसरा, सेना की सारी जरूरतों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। फिर युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया करवाने के लिए ट्रेनिंग और स्किल डवलपमेंट पर जोर दिया।
सरकार बनने के एक महीने के भीतर मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जिसका दूरगामी असर होना तय है। महंगाई पर नियंत्रण के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाए। आलू और प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में कर दिया गया और राज्य सरकारों से कालाबाजारियों पर नकेल कसने की अपील की। फिर मोदी सरकार के पहले आम बजट में नौकरीपेशा वर्ग को राहत प्रदान की गई और टैक्स में छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर ढ़ाई लाख कर दी गई। पीपीएफ में भी निवेश की सीमा एक लाख रुपए से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए कर दी गई। साथ ही, देश भर में 100 स्मार्ट सिटी बनाए जाने की घोषणा की गई। वहीं, रेल बजट में हाई स्पीड ट्रेनें चलाने का निर्णय भी किया गया। साथ ही, गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगा प्रोजेक्ट शुरू करने का ऐलान भी किया गया।
इसके बाद ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने ब्राजील गए मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर सबका ध्यान खींचा। मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति अपनाने पर भी जोर दिया। इसी दौरान भारत ब्रिक्स बैंक का अध्यक्ष बना। ब्राजील में चीन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुए मुलाकात में सीमा विवाद, आर्थिक रिश्ते और कैलाश मानसरोवर यात्रा के दूसरे मार्ग को को लेकर वार्ता हुई। बाद में मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार का खुलासा करने वालों को सुरक्षा मुहैया करवाने की बात की। बीमा सेक्टर में बड़ा कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बड़ाकर 49 फीसदी कर दी। फिर मोदी ने सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया कि वो सांसदों पर चल रहे आपराधिक केसों की पड़ताल एक साल के भीतर निपटाएं। गौर हो कि चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने दागी नेताओं पर सख्त कार्रवाई करने का भरोसा दिया था।
बीते महीने अमेरिका के रुख में मोदी के प्रति नरमी नजर आई। दिल्ली में मोदी और अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी के बीच मुलाकात कीसबका ध्यान खींचा। फिर नेपाल यात्रा के दौरान पन बिजली योजनाओं के लिए नेपाल सरकार के साथ समझौता किया। सरकार के एक अहम फैसलों में जुवैनाइल जस्टिस एक्ट में बदलाव को मंजूरी भी है। जिसके तहत अब गंभीर अपराधों के मामले में 16 साल से बड़े किशोरों को भी वयस्क की तरह सजा दी जा सकेगी। जम्मू कश्मीर दौरे के दौरान पाकिस्तान को अपरोक्ष तौर पर चेतावनी भी दी। मोदी सरकार के कार्यकाल में जजों की नियुक्ति के लिए न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल पास होते ही पुराना कॉलेजियम सिस्टम खत्म हो गया। फिर सरकार की तरफ से डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की घोषणा की गई। इसके अलावा सांसद आदर्श ग्राम योजना का भी ऐलान किया गया। इस योजना के तहत 2016 तक हर सांसद को अपने इलाके में एक आदर्श गांव बनाना होगा।
मोदी सरकार ने एक अहम फैसले में कश्मीर के अलगाववादियों से पाकिस्तान की बातचीत के बाद विदेश सचिव स्तर की बैठक रद्द कर दी। पाकिस्तान से साफ कहा गया कि या तो अलगाववादियों से बात कर लें या फिर भारत सरकार से। फिर योजना आयोग की जगह नई संस्था के बारे में सुझाव आमंत्रित किए गए। स्वतंत्रा दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से महत्वाकांक्षी ‘जन-धन योजना’ का ऐलान किया था। जिसकी शुरुआत अगस्त महीने के आखिर में देश भर में कर दी गई। इस योजना के तहत अब तक करोड़ों लोगों के बैंक खाते खुल चुके हैं।
पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.7 फीसदी रहना इस सरकार के लिए खासी उपलब्धि रही। विनिर्माण क्षेत्र में सुधार भी काफी सराहनीय है। सरकार के पहले तीन महीनों के फैसलों में रेलवे और रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ के नियमों में ढील, फैसले लेने की रफ्तार में बढ़ोतरी, टैक्स विवादों का निपटारे के लिए अलग तंत्र और निवेश बढ़ाने के उपाय किए गए। नई सरकार के कदम से यह स्पष्ट है कि उसे किस दिशा में बढ़ना है। आर्थिक गतिविधियों का दायरा बढ़ाने, फैसले लेने की अड़चनें दूर करने, व्यवसाय करने को आसान बनाने और महत्वपूर्ण उद्योग क्षेत्रों में नियम उदार बनाने के साथ सामाजिक विकास से जुड़े तमाम क्षेत्रों पर सरकार की पहल बेहतर नजर आ रही है।
हालांकि, इन सौ दिनों के कार्यकाल में सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, कालेधन के खिलाफ कार्रवाई, न्यायपालिका में नियुक्ति में पारदर्शिता सफाई समेत जनता से सीधे तौर पर जुड़े कई मुद्दों पर व्यापक कदम उठाए, जिसकी सराहना भी हुई। कुछ मौकों पर सरकार थोड़ी असहज भी नजर आई। चाहे वह गृहमंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ अफवाह हो, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के घर जासूसी के उपकरण, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की शिक्षा ने सरकार को थोड़ा असहज जरूर किया। मगर सरकार ने इन मुद्दों को सक्रियता से खारिज करने में भी समय नहीं लगाया।
बीजेपी के अपने बूते बहुमत पाने के बावजूद मोदी ने पीएम की शपथ लेने के बाद गठबंधन सरकार बनाने का फैसला किया। यह उनकी दूरगामी सोच को ही परिलक्षित करता है और इस दौरान के उनके कई फैसले काफी सहज नजर आते हैं। नई सरकार के विकास और सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के कारण आज निवेशकों का भरोसा बहाल होता नजर आ रहा है। मंत्रियों, अधिकारियों की तत्परता इस बात संकेत मिल रहा है कि किसी समस्या के प्रति समाधान का सरकार का रुख काफी सकारात्मक है।