[caption id="attachment_5807" align="alignnone" width="300" caption="अन्ना अभी अस्पताल में हैं"][/caption]
मुंबई. अन्ना हजारे का स्वास्थ्य सामान्य होते ही उनका अपने गांव पहुंचने की संभावना है. अन्ना स्वस्थ होंगे तो महाराष्ट्र सरकार के पसीने छूटने लगेंगे. कारण, अन्ना को मिल रहे जबर्दस्त समर्थन को देखते हुए महाराष्ट्र को चिंता है कि अहमदनगर जिले का रालेगण सिद्धि गांव कहीं दूसरा रामलीला मैदान न बन जाए.
कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार ने वरिष्ठ नौकरशाहों की एक सूची तैयार किया है जो अन्ना से संपर्क में रहने के अलावा उनकी गतिविधियों पर नज़र रखेंगे. गांव में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना का इंतजार कर रहे हैं और ऐसा माना जा रहा है कि लोकपाल बिल को लेकर अन्ना गांव में बैठक वगैरह कर सकते हैं.
राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर राजस्व मंत्री बालासाहब थोराट और कृषि मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल को अन्ना से लगातार संपर्क में रहने की जिम्मेदारी देने की तैयारी है. इन दोनों मंत्रियों से अन्ना की पुरानी जान पहचान है. राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह ने बताया, 'हजारे के महाराष्ट्र से लौटने के तुरंत बाद कांग्रेस और एनसीपी के वरिष्ठ मंत्री अन्ना का हाल चाल लेंगे. मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार अन्ना के साथ किसी तरहका टकराव नहीं चाहते हैं.'
सरकार की तरफ से मंत्रियों को हिदायत दे दी गई है कि वे प्रशासनिक खामियों से जुड़ी शिकायतों को टालने के बजाय तुरंत निपटारा करें. सरकार को इस बात का भी डर है कि विपक्षी पार्टियां हजारे को राज्य में मौजूद भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए उकसा सकती हैं, जो दिसंबर में होने वाले स्थानीय निकाय के चुनाव से पहले काफी अहम हो सकता है.
वहीं अन्ना के वकील मिलिंद पवार ने सुरक्षा संबंधी पत्र मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और गृहमंत्री आरआर पाटील को भेजा है. पत्र में कहा गया है कि 12 दिन के अनशन के दौरान अन्ना और उनके सहयोगियों ने अपने भाषण में सरकार व कुछ लोगों के खिलाफ तीखी टिप्पणी की थी. इससे कुछ लोगों में अन्ना के प्रति आक्रोश है और उनकी जान को खतरा हो सकता है.
पवार का कहना है कि पूरा देश जानता है कि महात्मा गांधी के साथ क्या हुआ, लिहाजा सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि अन्ना को मजबूत सुरक्षा व्यवस्था दे.