Pineapple Farming Business Idea: फल-सब्जियों की खेती में भी अच्छी-खासी कमाई है, अगर आप भी ऐसी कोई फसल लगाना चाहते हैं, जो आपको बढ़िया कमाई दे सके तो आपको अनानास की खेती करना चाहिए. पश्चिम बंगाल, केरल और आंध्र प्रदेश में सालभर इसकी पैदावार होती है.
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Business Idea: पिछले कुछ वर्षों में पारंपरिक खेती ने आधुनिक खेती का रूप ले लिया है. अब बहुत से किसान फलों, सलाद और सब्जियों की खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं. दरअसल, ये फसलें कम समय में ज्यादा मुनाफा दे सकती हैं. ऐसी ही एक फसल है अनानास की. पाइनएप्पल की खेती सालभर की जा सकती है.
यह आपके लिए एक शानदार बिजनेस आइडिया साबित होगा. यह डिमांड में भी हमेशा ही रहता है. ऐसे में आपको नुकसान होने का कोई जोखिम ही नहीं होगा. आइए जानते हैं इसकी खेती करके कैसे आप मोटा पैसा कमा सकते हैं.
इन राज्यों में होती है अनानास की पैदावार
भारत में मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, केरल और असम में पारंपरिक तौर से अनानास की खेती की जाती रही है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के किसान भी इसकी खेती करने लगे हैं.
उपयुक्त जमीन और मिट्टी
पाइनएप्पल की खेती के लिए बलुई दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. ऐसी जमीन होनी चीहिए, जिसमें जीवांश अधिक होते हैं. अनानास की बेहतर फसल के लिए मिट्टी का पीएच लेवल 5-6 होना चाहिए.
अनानास के लिए मुफीद जलवायु
अनानास की खेती के लिए बारिश और नमी होना बहुत जरूरी है. आर्द्र जलवायु इसकी बढ़िया पैदावार के लिए सबसे ज्यादा मुफीद होती है. बहुत गर्मी और बहुत ठंडी जगहों पर इसकी खेती नहीं की जा सकती है. आमतौर पर 22-32 डिग्री सेल्सियस का तापमान इसके लिए सही रहता है. संक्षेप में कहा जाता जाए तो ऐसी जलवायु जो गर्म होने के साथ ही उसमें पर्याप्त नमी और आर्द्रता होनी चाहिए. अनानास की खेती को भरपूर पानी मिलना जरूरी है.
अनानास की खेती का सही मौसम
अनानास की खेती का करने के लिए कोई एक मौसम नहीं हैं. सालभर में कभी भी इसकी फसल उगा सकते है. साल में दो बार इसकी खेती होती है, एक फसल जनवरी- मार्च और दूसरी मई-जुलाई में बोई जाती है, लेकिन नमी वाले गर्म इलाकों में यह पूरे साल उगता है.
पाइनएप्पल की किस्में
भारत में अनानास की प्रमुख उगने वाली किस्मों में जायनट क्यू, क्वीन, रैड स्पैनिश, मॉरिशस शामिल हैं. इनमें क्वीन एक ऐसी किस्म है, जो बहुत जल्दी से पककर तैयार हो जाती है. रेड स्पैनिशइस भी काफी प्रचलित है, क्योंकि इसमें कीड़े लगने, इसके खराब होने की संभावना सबसे कम होती है.
ऐसे होती है पाइनएप्पल की खेती
सबसे पहले खेत की जुताई कर गोबर की खाद मिलाई जाती है और मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है. इसमें वर्मी कंपोस्ट या कोई भी जैविक खाद मिलाई जा सकती है. इसके बाद अनानास की बुआई की जाती है. बारिश में इसकी फसल नहीं लगाई जाती है. इसका पौधा लगाने के लिए उसके ऊपरी हिस्से का प्रयोग किया जाता है, जिसे सकर या पायनेपल स्लीप भी कहते हैं. इसे बुआई से पहले 0.2 प्रतिशत डाईथेन एम 45 के घोल में डुबोकर साफ किया जाता है. दो पौधों के बीच में 25 सेंटीमीटर की दूरी जरूरी है.
फल की क्वालिटी पर निर्भर करेगा मुनाफा
एक हेक्टेयर खेत में में 16-17 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं, जिससे 3 से 4 टन पैदावार हासिल होगी. एक अनानास का वजन दो किलो तक होता है. बाजार में इसकी कीमत 150 से 250 रुपये के बीच होती है. मुनाफा इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस बाजार में फसल बेच रहे हैं. फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज में इसकी बहुत ज्यादा डिमांड है.
अनानास का निर्यात
अनानास की डिमांड विदेशों में भी खूह है ऐसे में इसकी खेती आपके लिए फायदेमंद है. दुनिया भर से करीब 100 से ज्यादा देशों में भारत से अनानास जाता है. नीदरलैंड, चीन, यूके, अमेरिका और सऊदी अरब भारत में उगने वाले अनानास के सबसे बड़े आयातक देश हैं. जानकारी के मुताबिक यहां एक्सपोर्ट होने वाले पाइनएप्पल का कुल कारोबार तरीब 26 मिलियन डॉलर का है.