FD vs PPF: इन्वेस्टमेंट के लिए सावधि जमा (Fixed Deposit) और पीपीएफ (Public Provident Fund) दोनों ही सेविंग्स और पैसा लगाने के लिए बेहतर विकल्प हैं. एफडी में पहले से तय समय के लिए एक निश्चित ब्याज दर मिलती है, जबकि पीपीएफ में ब्याज दर बदलती रहती है.
अगर आप इनमें निवेश करने का सोच रहे हैं तो इन दोनों स्कीम्स में क्या फर्क है पहले इसे अच्छी तरह से समझ लेना जरूरी है, क्योंकि इन दोनों अकाउंट पर आप शानदार ब्याज कमाने के साथ ही टैक्स में छूट का फायदा ले सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है इन दोनों योजनाओं के फायदे...
पीपीएफ के फायदे
- पीपीएफ में निवेशक आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर कटौती के लिए पात्र है, जिससे टैक्स में राहत मिलती है.
- कमाई गई ब्याज की राशि और मैच्योर्ड अमाउंट टैक्स फ्री होता है, जो इसे टैक्स के लिहाज से एक बढ़िया विकल्प है.
- इसे एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, क्योंकि यह सरकार द्वारा समर्थित है.
- पीपीएफ में 7 साल की लॉक-इन अवधि और 15 साल की जमा अवधि मिलती है, जिससे यह एक लॉन्ग-टर्म निवेश विकल्प बन जाता है. शुरुआती 15 साल बाद 5 साल के ब्लॉक में अनिश्चित काल तक ऐसा कर सकते हैं.
- पीपीएफ एक पार्शियल विदड्रॉल की अनुमति देता है और 7 साल पूरे होने के बाद लोन की सुविधा मिलती है, इमरजेंसी या आर्थिक जरुरतों के दौरान कुछ हद तक लिक्विडिटी भी मिलती है.
- हर एक साल में न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम निवेश 1,50,000 रुपये के साथ पीपीएफ खाता ओपन कर सकते हैं.
एफडी के फायदे
- एफडी समयसीमा विकल्पों के मामले में फ्लेक्सिबल होती हैं, निवेशक अपनी जरूरत और आर्थिक लक्ष्यों के साथ समय सीमा चुन सकते हैं.
- सावधि जमा पर लागू होने वाली ब्याज दरें उस दर पर स्थिर रहती हैं, जिस दर पर निवेशक ने एफडी बुक किया है.
- यह मैच्योर होने पर निश्चित रिटर्न की गारंटी देता है.
- निवेश लक्ष्य के आधार पर आप छोटी और लंबी अवधि की एफडी चुन सकते हैं, जो न्यूनतम 7 दिन या अधिकतम 10 साल की हो सकती है.
- एफडी आसानी से सुलभ हैं, जो विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ खोले जा सकते हैं.
- वरिष्ठ नागरिकों को शानदार ब्याज दर मिलती है, जिससे वे बिना किसी जोखिम के अधिक पैसा बचा सकते हैं.
- टैक्स-सेविंग एफडी प्लान्स 1961 के आयकर अधिनियम की धारा 80 सी निवेशकों को अधिकतम 1,50,000 रुपये तक कर छूट का दावा करने की परमिशन देती हैं.