नई दिल्ली: 2014 के बाद से ही राजनीतिक स्तर पर हर वक्त मात खा रही कांग्रेस ने एक से बढ़कर एक तरीके इजात किए कि आखिर किसी तरह उसे राजनीतिक शह मात के खेल में फायदा मिले, लेकिन अफसोस कि अब तक अपेक्षित सफलता हाथ नहीं लग सकी.
अब एक बार फिर से कांग्रेस एक नए जोर-आजमाइश के लिए दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में एक रैली का आयोजन किया है. इसका नाम है 'भारत बचाओ' रैली. इस रैली में कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता शिरकत करेंगे और वर्तमान सरकार की नीतियों के खिलाफ आग उगलेंगे.
Delhi: Preparations underway at Ramlila Maidan where Congress is organising 'Bharat Bachao' rally tomorrow. (Earlier visuals) pic.twitter.com/EtnPXyYDBG
— ANI (@ANI) December 13, 2019
कांग्रेस के दिग्गज नेता एक साथ करेंगे मंच साझा
इस रैली से पहले कांग्रेस ने बहुत माहौल बनाने की कोशिश की है. पिछले कुछ दिनों से हर चौक-चौराहे पर इसको प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा था. मंचों से इसके बारे में बोला जा रहा था. दरअसल, इस रैली में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ही हमेशा की तरह मुख्य चेहरे होंगे.
इनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, अहमद पटेल, के सी वेनुगोपाल, अविनाश पांडे, मुकुल वासनिक जैसे तमाम कांग्रेस के दिग्गज-दिग्गज नेता मंच की शोभा बढ़ाने की जद्दोजहद में होंगे.
क्या है रैली आयोजन का आधिकारिक उद्देश्य ?
रैली का मुख्य उद्देश्य आधिकारिक तौर पर तो मोदी सरकार के खिलाफ हल्लाबोल करने का है. यानी सीधे शब्दों में कहें तो अब किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस के सरकार की आलोचना न कर के सीधे मंच के जरिए पूरे देश में टेलीकास्ट करने का प्रोग्राम है. वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना जिसकी वजह से भारत की जीडीपी तक काफी नीचे आ गई है.
इसके अलावा बेरोजगारी दर का बढ़ते जाना, सरकार का तथाकथित तानाशाही रवैया, यह सब कांग्रेस के 'भारत बचाओ' रैली के मुख्य केंद्रबिंदु हैं.
क्या है रैली आयोजन का वास्तविक उद्देश्य ?
हालांकि, कुछ राजनीतिक पंडितों की मानें तो रैली में कांग्रेस की छवि को मांझने की कोशिश के रूप में ज्यादा देखा जा रहा है. कांग्रेस की डूबती नैय्या को इस रैली से काफी उम्मीदें हैं. खासकर इसलिए भी कि राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य को भी यहां से एक नई दिशा मिल सके.
दरअसल, इस रैली में देश के कोने-कोने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है. कहते हैं कि एक कार्यकर्ता पार्टी के लिए जनाधार पाने का जरिया होता है. कांग्रेस इस बात को समझ गई है और कार्यकर्ताओं में जोश भरने की जुगत में लग गई है.
विरोध के दौरान कांग्रेस को बचना होगा उसके साइड-इफेक्ट्स से
हाल के दिनों में वर्तमान सरकार के खिलाफ नागरिकता संशोधन विधेयक पर जो चहुंओर हंगामा बरपा है, कांग्रेस उस मुद्दे को यहां से आग दे कर कैश करने की कोशिश भी कर सकती है. हालांकि, इसके साइड-इफेक्ट्स भी कांग्रेस को देखने को मिल सकते हैं, इसकी पूरी संभाना भी बनी हुई है. कारण कि भारत में ही एक बड़ा तबका इस बिल के समर्थन में है. इसका मतलब है कि कांग्रेस को फूंक-फूंक कर कदम रखने होंगे.
पिछले कुछ सालों में यह कांग्रेस की सबसे बड़ी रैली होने वाली है. अकेले उत्तरप्रदेश से तकरीबन 40,000 की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता इस रैली में भाग लेने पहुंचने वाले हैं. इसके अलावा बताया जा रहा है कि हर विधानसभा से पार्टी के कम से कम 200 कार्यकर्ता इस विराट रैली में हिस्सा लेंगे. यह रैली वैसे तो 30 नवंबर को होने वाली थी, लेकिन संसद के शीतकालीन सत्र की वजह से टल कर 14 दिसंबर को की जा रही है.
रैली सफल बनाने की कोशिश में जुटी थीं प्रियंका
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी जो उत्तरप्रदेश की प्रभारी हैं, उन्होंने राज्यभर में रैली का प्रचार-प्रसार खूब कराया था. रैली को सफल बनाने का जिम्मा पुराने नेताओं से लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर है, जो ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंच कर इसे सफल बना सकते हैं. मालूम हो कि रैली में कांग्रेस के विदेशों से भी बड़े नेता भी शिरकत करने वाले हैं. इसकी जानकारी उन्होंने अलग-अलग प्लेटफॉर्म से पहले ही दे दी है.
पिछले दिनों कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भारत बचाओ रैली के बारे में सारी जानकारियां मीडिया से साझा की. उन्होंने कहा कि देश में मंदी की मार, बेरोजगारी, मंहगाई जैसे तमाम मुद्दों पर जिसपर मोदी सरकार फेल रही, उसके खिलाफ लोगों का गुस्सा है. उसी गुस्से से देश अब बदलाव के मूड में आ गया है. रैली को उन्हीं उम्मीदों के समर्थन में खड़ा उतरने के लिए कराया जा रहा है.