एक बार फिर आधी रात में खुला न्याय का दरवाजा

देर रात 12 बजे जब दिल्ली हाई कोर्ट से याचिका खारिज हुई तो करीब पौने दो बजे निर्भया के दोषियों के वकील सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के घर पहुंचे और तुरंत सुनवाई के बारे में बात की. दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद एपी सिंह दिल्ली के किदवईनगर इलाके में पहुंचे, जहां पर सर्वोच्च अदालत के मेंशनिंग रजिस्ट्रार के घर पहुंचे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 20, 2020, 08:16 AM IST
    • 2018 में कर्नाटक सरकार मामले में खुली थी सुप्रीम कोर्ट
    • 30 जुलाई 2015 की रात को 3ः20 पर सुप्रीम कोर्ट में याकूब मेमन की फांसी रुोकने के लिए सुनवाई हुई थी
एक बार फिर आधी रात में खुला न्याय का दरवाजा

नई दिल्लीः निर्भया मामले के चारों दोषियों को 20 मार्च सुबह 5ः30 बजे फांसी दे दी गई. यह वक्त पहले से तय था, लेकिन इस वक्त को टालने के लिए दोषियों के वकील एपी सिंह की ओर से तमाम कोशिशें की गईं. दिल्ली हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद एपी सिंह ने देर रात को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

हालांकि, यहां पर भी उनके पैंतरे नहीं चले और सुप्रीम कोर्ट ने फांसी टालने की याचिका को खारिज कर दिया. हालांकि यह पहली बार नहीं था कि न्याय का दरवाजा आधी रात को खुला है, पहले भी ऐसी कोशिश हुई है.

देर रात हुआ आखिरी फैसला
देर रात 12 बजे जब दिल्ली हाई कोर्ट से याचिका खारिज हुई तो करीब पौने दो बजे निर्भया के दोषियों के वकील सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के घर पहुंचे और तुरंत सुनवाई के बारे में बात की. दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद एपी सिंह दिल्ली के किदवईनगर इलाके में पहुंचे, जहां पर सर्वोच्च अदालत के मेंशनिंग रजिस्ट्रार के घर पहुंचे.

इसके बाद जब सुनवाई शुरू हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने एपी सिंह की सभी दलीलों को खारिज कर दिया गया. इसी के बाद ये तय हो गया कि सुबह 5.30 बजे चारों दोषियों को फांसी होगी.

फैसले की कॉपी न मिलने का लगाया आरोप
सुनवाई से पहले निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझ कर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले की कॉपी नहीं दी जा रही है, ताकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ना हो सके. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से कई जगह कागजों और याचिकाओं की फोटो कॉपी नहीं हो रही है.

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याकूब मेमन की फांसी रोकने की हुई थी कोशिश
1993 के मुंबई सीरियल धमाके के दोषी याकूब मेमन की याचिका को जब राष्ट्रपति की ओर से खारिज कर दिया गया था, तब 30 जुलाई 2015 की आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला था. वकील प्रशांत भूषण सहित कई अन्य वकीलों की तरफ से देर रात को फांसी टालने के लिए अपील की गई थी. उस समय जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में तीन जजों की एक बेंच ने रात के तीन बजे इस मामले की सुनवाई की थी.

30 जुलाई 2015 की रात को 3ः20 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी, जो सुबह 4.57 तक चली थी. हालांकि, फांसी टालने की इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. और बाद में याकूब मेमन को फांसी दी गई थी.

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जब गिरी कर्नाटक सरकार
सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा राजनीतिक मामले में भी खटखटाया गया है. फांसी से इतर यह मामला राज्य सरकार का था. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट आधी रात को खुली थी. 2018 में कर्नाटक में जब राज्यपाल की तरफ से आधी रात को भाजपा को सरकार बनाने का अवसर मिला था, तब कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

17 मई 2018 को रात 2 बजे सुनवाई शुरू हुई और सुबह करीब 5 बजे तक चली थी. हालांकि, अदालत ने बीएस येदियुरप्पा की शपथ रोकने से इनकार किया था.

 

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