भारत के इस गांव का नाम ही है दीपावली, यहां दामाद का अनोखे तरीके से होता है वेलकम
Deepavali Village In South India: कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाए जाने वाले दीपावली पर्व का नाम सुनते ही मन में एक अलग ही उत्साह होता है. भारत के हर कोने में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एक ऐसा गांव है जिसका नाम ही दीपावली है?
Deepavali Village: कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाए जाने वाले दीपावली पर्व का नाम सुनते ही मन में एक अलग ही उत्साह होता है. भारत के हर कोने में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एक ऐसा गांव है जिसका नाम ही दीपावली है? दीपावली गांव गारा मंडल में स्थित है, जहां दीपावली का पर्व पांच दिन तक मनाया जाता है. यहां के निवासियों का कहना है कि वे इस पर्व को अपने पूर्वजों की पूजा करने के बाद मनाते हैं. गांव की इस खास परंपरा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है.
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दीपावली नाम के पीछे है कहानी
कहानी यह है कि प्राचीन काल में श्रीकाकुलम का एक राजा था, जो अपने रास्ते में इस गांव के पास से गुजरता था. राजा एक दिन श्री कुरमनाथ मंदिर जाने के बाद वापस लौटते समय बेहोश हो गया. गांव वाले उसके पास दौड़े आए और दीप जलाकर उसकी सेवा की. जब राजा होश में आया, तो उसने गांव का नाम पूछा. गांव वालों ने बताया कि इस गांव का कोई नाम नहीं है. तब राजा ने कहा, “तुमने मुझे दीपों की रोशनी में सेवा की, इसलिए मैं इस गांव का नाम दीपावली रखता हूं.” तभी से यह गांव दीपावली के नाम से जाना जाने लगा.
दीपावली गांव की जनसंख्या लगभग है 1000
दीपावली के दिन गांव के लोग सुबह जल्दी उठते हैं और स्थानाधीर पूजा और पीत्र कर्म करते हैं. यहां के सोनदी समुदाय के लोग भी इस दिन पीत्र पूजा करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं ताकि अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें. दीपावली के समय यहां भी ससुराल आए दामाद का स्वागत करने के लिए विशेष रिवाज निभाए जाते हैं, जैसे कि संक्रांति पर होता है. इस समय दीपावली गांव की जनसंख्या लगभग 1,000 है, और यहां हर साल इस पर्व को भव्य तरीके से मनाया जाता है. गांव के लोग दीपों की जगमगाहट और मिठाइयों के साथ इस पर्व को मनाते हैं.
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दीपावली का यह विशेष गांव अपने आप में एक मिसाल है कि कैसे एक साधारण नाम और एक रोचक कहानी के साथ यह जगह एक पहचान बना चुकी है. यहां के लोग अपने सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखते हैं और हर साल इस पर्व को एक नई ऊर्जा के साथ मनाते हैं. दीपावली गांव की यह विशेषता इसे अन्य गांवों से अलग बनाती है, और यहां के लोग अपने परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. इस प्रकार दीपावली सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक भावना है जो लोगों को एक साथ लाती है और उनके पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करती है.