दिव्यांग दुल्हन को सरकारी दफ्तर में हुई ऐसी मुसीबत, गुस्से में एक्स पर लिखी ये बात; भड़क उठे लोग
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दिव्यांग दुल्हन को सरकारी दफ्तर में हुई ऐसी मुसीबत, गुस्से में एक्स पर लिखी ये बात; भड़क उठे लोग

Disabled Bride: मुंबई में व्हीलचेयर पर बैठी एक महिला ने रजिस्ट्रार कार्यालय में शादी करने के लिए दो मंजिल तक ऊपर ले जाने के बाद गुस्सा और निराशा व्यक्त की. एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट में विराली मोदी नाम की महिला ने अपना अनुभव बताया.

 

दिव्यांग दुल्हन को सरकारी दफ्तर में हुई ऐसी मुसीबत, गुस्से में एक्स पर लिखी ये बात; भड़क उठे लोग

Trending News: सरकारी ऑफिस और पब्लिक प्लेस को विकलांगों के अनुकूल होना चाहिए. मेट्रो स्टेशनों से लेकर कई सरकारी संस्थाओं में इसकी सुविधाएं हैं, लेकिन कुछ जगहों पर इसकी समस्या है. इस देश के हर एक नागरिकों को सरकारी सेवाओं तक पहुंचने का हकदार है. हालांकि, एक ऐसी घटना हुई जिसकी वजह से कई लोगों ने सवाल उठाया. मुंबई में व्हीलचेयर पर बैठी एक महिला ने रजिस्ट्रार कार्यालय में शादी करने के लिए दो मंजिल तक ऊपर ले जाने के बाद गुस्सा और निराशा व्यक्त की. एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट में विराली मोदी नाम की महिला ने अपना अनुभव बताया और कहा कि शहर के खार इलाके में रजिस्ट्रार कार्यालय में कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. 

शादी में दिव्यांग महिला को दूसरी मंजिल तक ले जाया गया

विराली ने अपने पोस्ट में लिखा, "मैं विकलांग हूं और मेरी शादी 16/10/23 को खार मुंबई के रजिस्ट्रार कार्यालय में हुई थी. कार्यालय बिना लिफ्ट के दूसरी मंजिल पर था. वे हस्ताक्षर के लिए नीचे नहीं आते हैं और शादी करने के लिए मुझे दो मंजिल तक ले जाना पड़ा." लड़की ने बुधवार को यह पोस्ट लिखा. महिला ने आगे कहा कि ऑफिस की सीढ़ियां जंग खा चुकी थीं और अधिकारियों को उसकी विकलांगता के बारे में सूचित करने के बावजूद उसे कोई मदद नहीं दी गई. उन्होंने यह भी सवाल किया कि अगर शादी के लिए ऑफिस ले जाते समय वह सीढ़ियों से गिर जाती तो क्या होता.

 

 

लड़की का पोस्ट सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

उन्होंने लिखा, "सीढ़ियां बेहद खड़ी थीं और रेलिंग ढीली और जंग लगी हुई थी. किसी ने भी मदद की पेशकश नहीं की और न ही मेरे लिए किसी तरह की व्यवस्था की, जबकि मैंने नियुक्ति से पहले अपने एजेंट को अपनी विकलांगता के बारे में सूचित कर दिया था." विराली ने आगे यह भी कहा, "मैं निराश हूं कि मेरे देश की सरकार और नागरिक मेरी विकलांगता को स्वीकार नहीं कर सकते. इस कठिन परीक्षा से इंसानियत से मेरा विश्वास उठ गया है. मैं कोई सामान नहीं हूं जिसे दो मंजिल तक ले जाना पड़े. मैं एक इंसान हूं और मेरी अधिकार मायने रखते हैं."

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