24परगना: 57 साल के बाद अपने भाई और परिवारवालों से दोबारा मिले ओडिशा के रहने वाले चारु बसान. सोदपुर के 4 नंबर प्लेटफार्म पर यात्रियों के बैठने वाले सीट पर बैठे रहते थे चारु बसान. प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में यात्री चारु के बगल से गुज़रते थे लेकिन, किसी को क्या मतलब की यह कौन है. सब चारु को एक तरह से अनदेखा कर देते थे. चारु के आसपास से गुजर रहे यात्री कभी अनुमान ही नहीं लगा पाए की यह व्यक्ति ओडिशा का खोया हुआ चारु बसान है, जो यहां बंगाल में है.


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लेकिन, किसको मालूम था कि आज अचानक से हैम रेडियो के सदस्यों की मदद से 50 साल पहले लापता हुए चारु अपने परिवार से मिल पाएंगे. हैम रेडियो का इस्तेमाल खासतौर पर किसी आपदा, त्रासदी जैसे भूकंप, बाढ़, तूफान के वक़्त इस्तेमाल किया जाता है. जब संपर्क करने के सभी साधन फ़ैल हो जाते हैं तो, हैम रेडियो ही काम आता है. चाहे वो कोई भी दुर्गम जगह क्यों न हो, हैम रेडियो के रहते आप दूसरे व्यक्ति से सीधा संपर्क कर सकते है जिसके पास हैम रेडियो रहता है.


प्लेटफार्म पर चारु की गतिविधियों को देख हैम रेडियो के सदस्यों को संदेह हुआ और उसके बाद शुरू हुई चारु के साथ बातचीत. कभी हिंदी में, तो कभी टूटी-फूटी बंगाली में तो, कभी उड़िया में. कई दिनों के बाद संपर्क साधने पर हैम रेडियो के सदस्यों ने पता कर लिया कि चारु का घर ओडिशा में है. उसके बाद बिना किसी देरी के सोदपुर हैम रेडियो के सदस्यों ने ओडिशा हैम रेडियो के सदस्यों को चारु की एक तस्वीर भेजी और जानकारी दी. इसके बाद जानकारी मिली कि चारु ओडिशा के झरसुगाडा (Jharasugada ) ज़िले के बृजराजनगर का रहने वाला है. 


इसके बाद हैम रेडियो के सदस्य चारु के परिवारवालों से संपर्क साधने में सफल होते हैं और चारु की तस्वीर उसके भाई अयोध्या बसान के मोबाइल पर भेजते हैं. 57 साल बाद अपने भाई की तस्वीर देखते ही वे अपने बिछड़े भाई से मिलने और उसे वापस लाने के लिए तैयारी करने लगे. सोदपुर हैम रेडियो से संपर्क साधने के बाद चारु के भाई अयोध्या सोदपुर पहुंच गए. इस तरह से भाई से दोबारा मिल पाएंगे यह सपने में भी नहीं सोचा था अयोध्या ने. उसके बाद हैम रेडियो सदस्यों ने चारु के लंबे-लंबे बाल, दाढ़ी कटवाकर, खिला-पिला कर उसे अपने घर ओडिशा में वापस भेज दिया.


बताया जा रहा है की चारु थोड़ा सा मानसिक रूप से विक्षिप्त है इसीलिए, उसको कुछ ख़ास याद नहीं कि वो कैसे अपने परिवारवालों से बिछड़ा था. केवल इतना ही मालूम चल पाया है कि करीब 20 साल पहले चारु बिना बताये अपने घर से चला गया था. व्यस्तता भरे इस जीवन में कहां इस तरह के मानवीयता के उदाहरण आजकल मिलते हैं. अगर ऐसी मानसिकता केवल 20 प्रतिशत लोगों में भी आ जाए तो, आज कितने बिछड़े हुए अपने परिवार से दोबारा मिल पाएंगे.


(इनपुट- अनंत)


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