Meat Eating: मांस खाने वाले पुरुषों पर 'बेडरूम बैन', इस संस्था की अजीबोगरीब मांग
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Meat Eating: मांस खाने वाले पुरुषों पर 'बेडरूम बैन', इस संस्था की अजीबोगरीब मांग

Non Vegetarian Men: पेटा ने अपनी मांग में इस बात का तर्क दिया कि पुरुष ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन ज्यादा करते हैं. वहीं संस्था ने यह भी मांग की है कि पुरुषों पर भारी 'मांस कर' लगाया जाना चाहिए.

 

Meat Eating: मांस खाने वाले पुरुषों पर 'बेडरूम बैन', इस संस्था की अजीबोगरीब मांग

Bedroom Ban on Meat Eating Men: मांस के सेवन को लेकर दुनियाभर में काफी पहले से ही चर्चा चल रही है कि इसके नुकसान और फायदे क्या हैं. इसी बीच पशुओं के अधिकार के लिए काम करने वाली गैर सरकारी अंतरराष्ट्रीय संस्था पेटा (PETA) ने एक अजीबोगरीब मांग कर डाली है. संस्था का कहना है कि मांस का सेवन करने वालो पुरुषों पर बेडरूम बैन हो जाना चाहिए. संस्था का तर्क है कि मांस खाने वाले लोग ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए उतने ही जिम्मेदार हैं जितना कोई अन्य जिम्मेदार है.

'ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार'
दरअसल, पेटा का कहना है कि मांस का सेवन करने वाले पुरुषों पर 'यौन प्रतिबंध' लगाना चाहिए क्योंकि वे अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। 'द टेलीग्राफ' ने अपनी एक रिपोर्ट में स्रोतों के हवाले से बताया है कि पेटा ने तो बकायादा जर्मनी में कुछ महिलाओं से मांग कर डाली कि ऐसे पुरुषों के खिलाफ 'बेडरूम स्ट्राइक' कर देनी चाहिए. हालांकि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि इस पर कितनी महिलाओं ने सहमति जताई है.

कहा ऐसे पुरुषों पर लगना चाहिए यौन प्रतिबंध
रिपोर्ट के मुताबिक संस्था का तर्क है कि पुरुष महिलाओं की तुलना में 41 प्रतिशत अधिक प्रदूषण करते हैं क्योंकि वे अधिक मांस खाते हैं। पेटा की जर्मन शाखा ने पिछले साल एक वैज्ञानिक पत्रिका 'Plos One' के एक शोध का हवाला देते हुए यह दावा किया है. पेटा ने कहा कि इस तरह की 'विषाक्तता' के लिए ऐसा उपाय होना चाहिए कि इससे 'शुद्धता' लाई जाए और इसीलिए यौन प्रतिबंध की आवश्यकता हो गई है। हालांकि पेटा ने यह नहीं बताया कि इस तरह का प्रतिबंध प्रत्यक्ष रूप से ग्रीनहाउस का उत्सर्जन कम कैसे करेगा।

पेटा ने भारी 'मांस टैक्स' की भी मांग की
पेटा जर्मनी के कार्यकारी अधिकारी डैनियल कॉक्स ने कहा कि जर्मन पुरुषों को शाकाहारी बनने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके बच्चों के पास रहने लायक ग्रह सुरक्षित है, इस तरफ कदम बढ़ाना होगा. इतना ही नहीं इसके साथ ही पेटा ने भारी 'मांस टैक्स' की भी मांग की है. मांस का सेवन कम करने की मांग को गंभीर बनाने के लिए पेटा ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग उत्सर्जन से ग्रह को बचाने के लिए पुरुषों के लिए भारी मांस कर लगाया जाना चाहिए. 

जर्मनी में मिल रही मिलीजुली प्रतिक्रिया
कॉक्स ने कहा कि अब इस बात का वैज्ञानिक प्रमाण है कि 'विषाक्त मर्दानगी' जलवायु को नुकसान पहुंचाती है. इसलिए सभी मांस खाने वाले पुरुषों के लिए प्रजनन पर प्रतिबंध लाभदायी होगा. फिलहाल पेटा की इस मांग के बाद जर्मनी में बहस शुरू हो गई है. कुछ लोग इस मांग पर ध्यान देने की बात कह रहे हैं तो कुछ इस मांग को बकवास करार दे रहे हैं. वहीं विशेषज्ञों की राय इस मामले में अलग है. 

विशेषज्ञ बोले-व्यवहार में लाना बेहद कठिन
जर्मनी की एक पार्टी सीएसयू के नेता फ्लोरियन हैन ने कहा कि मांस खाने वालों पर इस तरह का पर प्रतिबंध लगाने की बजाय हमें ग्रीनहाउस उत्सर्जन कम करने के अन्य तरीकों पर ध्यान देने की जरूरत है. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की मांग के जरिए मामले को लोगों के सामने रखा जरूर सकता है लेकिन इसको व्यवहार में लाना बेहद कठिन है.

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