इंसानियत के नाते लोग अपनी शरीर के हिस्से को दान करने के लिए तैयार हो जाते हैं. रक्तदान, नेत्रदान, अंगदान जैसे डोनेशन की तरह अब नया ट्रेंड शुरू हुआ है, जिसे पू डोनेशन (Poo Donation) कहा जा रहा है. जी हां, हिंदी में हम इसे मल दान कह सकते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर अब ऐसी क्या नौबत आ पड़ी, जिससे लोगों के मल दान करना पड़ रहा है. चलिए हम आपको बताते है कि आखिर मल दान करने से क्या होगा.
मल दान (Poo Donation) की मांग इसलिए बढ़ी, क्योंकि इससे मनुष्य की आंत संबंधी बीमारियों का इलाज किया जाएगा. जो लोग इस दान में शामिल हो रहे हैं, उन्हें 'गुड पू डोनर्स' कहा जा रहा है. इसका मतलब यह कि दान में आने वाले उच्च गुणवत्ता वाले मल से आपके पेट के भीतर मौजूद आंतों की समस्याओं से निजात मिलेगी. इतना ही नहीं, मल के जरिए डिजाइनर गट बैक्टीरिया को बनाया जाएगा, जिससे लोगों के पेट संबंधी बीमारियों को दूर किया जा सके.
'गुड पू डोनर्स' को यूनिकॉर्न कहा जाने लगा है. अच्छे मल के डोनेशन से लोग फीकल ट्रांसप्लांट (Faecal Transplant) भी करवा रहे हैं. नए ट्रेंड की वजह से इंसानी माइक्रोबायोम यानी आंतों के माइक्रोब्स पर नई स्टडी हो पा रही है. इससे आंतों के बैक्टीरिया के कुछ चेंजेज करके लोगों के स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है.
माइक्रोब्स सिर्फ खाने, पचाने का काम नहीं करता बल्कि इससे आपके मूड को सही भी रखता है. इसके साथ ही इम्यूनिटी बूस्ट, शारीरिक व मानसिक तरीके स्वस्थ रखने में भी मदद करता है. हमारे सेहत को फास्टफूड जैसे चीजें बिगाड़ने का काम कर रहे हैं, जिससे पेट की समस्याएं बढ़ रही हैं.
ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में बायोमबैंक के CMO सैम कोस्टेलो और चीफ एक्जिक्यूटिव थॉमस मिशेल ऐसे ही स्वस्थ लोगों की खोज रहे हैं, जिनके पास हाई क्वालिटी का मल हो. डॉक्टरों द्वारा जांच किए जाने के बाद ही मल डोनेशन के लिए अप्रूव किया जाएगा. जो लोग मलदान करना चाहते हैं, उनके लिए 8 हफ्ते का प्रोग्राम सेट किया जाता है.
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