हालांकि, अस्पताल में डॉक्टर द्वारा मृत घोषित किए जाने के बावजूद परिवार का अभी भी मानना है कि जिओना की धड़कन अभी भी चल रही है और उनका शरीर गर्म है. इसी वजह से अंतिम संस्कार को रोक दिया गया है.
मिजोरम के बख्तवांग गांव के रहने वाले जिओना चाना 38 पत्नियां, 89 बच्चे, 14 बहुओं और 33 पोते पोतियों के साथ एक 100 कमरों वाले बड़े घर में रहते थे. उनका गांव, इस परिवार की वजह से रियासत में पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण बन गया था. जिओना के परिवार की महिलाएं भी खेती करती हैं. जिओना चाना पेशे से बढ़ई थे.
न्यूज़ एजेंसी Reuters के मुताबिक जिओना चाना की पत्नियां, बच्चे और उनके सभी बच्चे एक ही इमारत के अलग-अलग कमरों में रहते हैं, लेकिन सभी का खाना एक ही रसोई में बनता है. पत्नियां बारी-बारी से खाना बनाती हैं.
जिओना चाना के परिवार का खर्चा भी किसी आम परिवार से कहीं अधिक है. एक आम परिवार में जितना राशन 2-3 महीने चलता है, इस परिवार के लिए उतना राशन हर दिन चाहिए होता है. एक दिन में 45 किलो से ज्यादा चावल, 30-40 मुर्गे, 25 किलो दाल, दर्जनों अंडे, 60 किलो सब्जियों की जरूरत होती है. परिवार में लगभग 20 किलो फल की भी हर रोज जरूरत होती है.
जिओना की 17 वर्ष की उम्र में पहली शादी हुई थी. उनकी पहली पत्नी उम्र में उनसे तीन साल बड़ी थी. जिओना एक स्थानीय ईसाई धार्मिक संप्रदाय के प्रमुख थे, जिन्हें 'चाना' कहा जाता है. जिओना की सबसे बड़ी पत्नी मुखिया का किरदार निभाती हैं और घर के सभी सदस्यों के कामों का बंटवारा करने के साथ ही कामकाज पर नजर भी रखती हैं.
जिओना के निधन से परिवार में गम की लहर दौड़ गई है. उनका परिवार मिजोरम में खूबसूरत पहाड़ियों के बीच बकटावंग गांव में मौजूद 4 मंजिला इमारत में रहता है, जिसमें 100 कमरे हैं.
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