नई दिल्ली: गुजरात (Gujarat) में रहने वाली डॉ.जेसनूर दायरा (Dr. Jesnoor Dayara) एक ट्रांसवुमन (Transwoman) हैं. उन्होंने हाल ही में रूस (Russia) की एक यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस (MBBS) की डिग्री ली है. उनका जन्म पुरुष के रूप में हुआ था लेकिन मन से वे खुद को महिला मानती हैं और उसी हिसाब से रहना भी चाहती हैं. उन्होंने अपनी यह चाहत कभी भी अपने घरवालों को नहीं बताई थी. लेकिन अब उन्हें इस बात को स्वीकारने में कोई संकोच नहीं है. अब वे अपना जेंडर भी बदलवाना (Gender Change) चाहती हैं.


बचपन से ही था इस बात का अहसास


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भारत ही क्या, दुनिया के किसी भी कोने में ट्रांसजेंडर्स (Transgender) को अब भी अपना वर्चस्व साबित करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. ट्रांसमैन (Transman) हो या ट्रांसवुमन (Transwoman), इस बात को स्वीकर पाना आसान नहीं होता है. गुजरात की पहली ट्रांसवुमन डॉक्टर (First Transwoman Doctor) जेसनूर दायरा का हाल भी कुछ ऐसा ही है. उन्हें बचपन से अहसास था कि उनका सिर्फ शरीर ही पुरुष का है, जबकि उनकी सोच और व्यवहार महिलाओं की तरह है.


लेकिन वे इस बात को किसी से शेयर करके घरवालों को परेशान नहीं करना चाहती थीं और इसीलिए सालों तक चुप भी रहीं. हालांकि, रूस (Russia) में पढ़ाई के दौरान उन्हें अहसास हुआ कि वे इस बात को दुनिया से साझा कर सकती हैं.


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जारी है अपनी शर्तों पर जीने का संघर्ष


डॉ. जेसनूर दायरा (Dr.Jesnoor Dayara) ने अपने सच को स्वीकार लिया है और वे उसी के साथ जीना चाहती हैं. अपनी हिम्मत की मिसाल कायम करते हुए अब उन्होंने अपने करीबियों को इस सच से रूबरू करवा दिया है. खुशी की बात तो यह है कि उन्हें परिवार और समाज का समर्थन भी मिलने लगा है. अब वे एक नई पहचान के साथ जीना चाहती हैं लेकिन उससे पहले उन्होंने कुछ ऐसा किया है, जिसे कर पाने की हिम्मत हर कोई नहीं जुटा पाता है.


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बच्चे को देना चाहती हैं मां-बाप का प्यार


हर किसी की तरह डॉ. जेसनूर दायरा भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करना चाहती हैं. वे साल के आखिरी तक अपना सेक्स चेंज (Sex Change) करवाकर पूरी तरह से महिला बनने के लिए तैयार हैं. लेकिन उससे पहले उन्होंने अपना सीमन फ्रीज (Semen Freeze) करवा दिया है. इससे बच्चा जैविक तौर पर उन्हीं का होगा क्योंकि पिता के तौर पर यह उनके सीमन (Semen) में मौजूद स्पर्म (Sperm) से ही जन्म लेगा.


इस स्पर्म का डोनर एग (Sperm Donor Egg) के साथ मिलान कराकर सरोगेट मां (Surrogate Mother) के गर्भ में प्लांट कर दिया जाएगा. इससे दायरा अपने बच्चे की मां और पिता, दोनों बन जाएंगी.


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सरोगेसी के लिए जरूरी है विकल्प


दायरा की जिंदगी के बारे में लिखना और सोचना बेशक आसान लग रहा हो लेकिन उनकी राह बहुत कठिन है. अपने ही बच्चे के जन्म के लिए उन्हें कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है. दरअसल, भारत में सरोगेसी विधेयक (2019) (Surrogacy Bill 2019) के तहत कोई अविवाहित पुरुष, एलजीबीटी कपल (LGBT Couple) या लिव इन (Live In Relationship) में रहने वाले लोग सरोगेसी (Surrogacy) की मदद से मां-बाप नहीं बन सकते हैं.


हालांकि अभी इसे राज्‍यसभा और राष्‍ट्रपति की मंजूरी मिलनी बाकी है. लेकिन दायरा इन बातों से परेशान नहीं हैं. सरोगेसी के लिए वे दुनिया के अन्य देशों से विकल्प खोजने के लिए भी तैयार हैं.


दायरा तो अपनी जिंदगी को लेकर स्पष्ट हैं लेकिन वे चाहती हैं कि भारत में भी कुछ सहज कानून बन सकें, जिनकी मदद से उनके जैसे लोग माता-पिता बनने की अपनी ख्वाहिश को आसानी से पूरा कर सकें.


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