Xi Jinping Domestic Policy: चीन इस वित्तीय वर्ष में 5 फीसद विकास का लक्ष्य रखा है लेकिन जिस तरह से विदेशी निवेशक अपनी रकम वापस ले रहे हैं उससे शी जिनपिंग को बड़ा झटका लगा है. हालांकि इसका एक पक्ष यह है कि भारत अपनी तरक्की की रफ्तार को और तेज कर सकता है.
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China Economy News: क्या चीन की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है. क्या शी जिनपिंग (Xi Jinping)की पकड़ कमजोर हो रही है.क्या चीन दुनिया भर के निवेशकों को अपने पाले में नाकाम साबित हो रहा है. क्या चीन को बड़ी चपत लग चुकी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की डगमगाती अर्थव्यवस्था को देख निवेशक अपने पैसे को वापस खींच रहे हैं.अब तक करीब 188 अरब डॉलर की निकासी हो चुकी है. हालांकि इसका भारत पर बेहतर असर पड़ता हुआ नजर आ रहा है.
188 अरब डॉलर की निकासी
बता दें कि चीन, दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन घरेलू बाजार सूस्त पड़ा हुआ है. चीनी सरकार अर्थव्यवस्था(china foreign investment) में जान डालने के लिए जतन कर रही है लेकिन उसका असर नजर नहीं आ रहा. चीन ने इस वित्त वर्ष में पांच फीसद आर्थिक विकास का लक्ष्य रखा है ये बात अलग है कि शी जिनपिंग सरकार के बयानों पर ना तो घरेलू निवेशक और ना ही विदेशी भरोसा कर पा रहे हैं. अगस्त के महीने में 12 अरब डॉलर की निकासी हो चुकी है.जानकार बता रहे हैं कि चीन के एक्सपोर्ट में कमी आई है लोगों को मंदी का डर सता रहा है, नौकरियों के जाने का डर सता रहा है लिहाजा लोग खर्च करने की जगह बचत पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और उसका असरमैन्यूफैक्चरिंग उद्योगों पर पर पड़ रहा है.
क्या है परेशानी की वजह
चीन के डेट मार्केट से 26 अरब डॉलर की निकासी
चीनी करेंसी युआन पर बिकवाली का दबाव
चीनी करेंसी 16 साल में सबसे निचले स्तर पर
विदेशी निवेशकों को पांच फीसद ग्रोथ न हासिल करने का डर
रियल इस्टेट सेक्टर बेपटरी
अगर बात हांगकांग स्टॉक मार्केट की करें तो 2020 की तुलना में एक तिहाई से कम भागीदारी चीनी अर्थव्यवस्था में है. चीन में कभी रियल इस्टेट सेक्टर की बहार रहती थी लेकिन इस सेक्टर में कामकाज ठप पड़ा हुआ है. विशेषज्ञ यह मानकर चल रहे हैं कि यदि रियल इस्टेट सेक्टर जल्द पटरी पर नहीं आया तो अर्थव्यवस्था किस गहराई तक जाकर गोते लगाएगी बता पाना संभव नहीं होगा. उपभोक्ताओं ने खरीदारी कम की है उसका असर भी नजर आ रहा है. इसके साथ ही MSCI चाइना इंडेक्स में भी करीब सात फीसद की गिरावट है और उसका असक विदेशी निवेशकों में घबराहट के तौर पर देखा जा सकता है.