LoC पर PAK की साजिशों में फिर साझेदार बना चीन, यूं कर रहा आतंकवादियों की मदद
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LoC पर PAK की साजिशों में फिर साझेदार बना चीन, यूं कर रहा आतंकवादियों की मदद

भारत-पाकिस्तान सीमा (India-Pakistan Border) से सटे इलाकों में लगातार नई साजिशों का खुलासा हो रहा है. भारतीय सेना (Army) और बीएसएफ (BSF) पाकिस्तान की और से आए उन चीनी क्वाडकॉप्टरों (Quadcopter) को फायरिंग कर गिरा रही है.

Photo: ANI

Chinese Quadcopter at LoC: भारत-पाकिस्तान सीमा (India-Pakistan Border) से सटे इलाकों में लगातार नई साजिशों का खुलासा हो रहा है. भारतीय सेना (Army) और बीएसएफ (BSF) पाकिस्तान की और से आए उन चीनी क्वाडकॉप्टरों (Quadcopter) को फायरिंग कर गिरा रही है. जिनके जरिए पाकिस्तानी सैनिक भारतीय सीमाओं पर सक्रिय आतंकवादियों और उनके स्लीपर्स सेल्स को मदद पहुंचाते हैं. इसी मशीन के जरिए पाकिस्तान, खालिस्तानी संगठनों और भारत विरोधी ताकतों तक बारूद, हथियार, ड्रग्स, जाली करंसी, गुप्त सूचनाएं अथवा पहुंचाता है.

पाकिस्तान ने खरीदी बड़ी खेप

ताजा जानकारी के अनुसार खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट के मुताबिक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा काफी अधिक मात्रा में चीनी क्वाडकॉप्टर की एक बड़ी खेप खरीदी गई है. जो आने वाले समय में भारत  (India) के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हो सकता है.

PAK का प्लान 

आपको बताते चलें कि खुफिया जानकारी के मुताबिक देश की सिक्योरिटी के लिए चुनौती
बने इस क्वाडकॉप्टर की एक बड़ी खेप पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों तक पहुंचाई गई है.
इस खेप का इस्तेमाल भारत से जुड़ी सभी सरहदों पर एक ही बार में किया जा सकता है ताकि
इस स्थिति में भारतीय सुरक्षाबलों को संभलने का मौका न मिले और सभी जगह से भारत को घेरा जा सके और बड़ा नुकसान पहुंचाया जा सके. 

निशाने पर सैन्य प्रतिष्ठान

पाकिस्तान के पास पहुंचे चीनी ड्रोन्स के निशाने पर भारत के हवाई और सैन्य इंस्टॉलेशंस हो सकते हैं. इसीलिए तुरंत इस संबंध में सभी बड़ी एजेंसीयों और अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है.

क्वाडकॉप्टर क्या होता क्या है?

आइए जानते हैं कि आखिर क्वाडकॉप्टर क्या होता क्या है और कैसे काम करता है. क्वाडकॉप्टर एक खास तरह का ड्रोन है, जिसमें चार अलग उड़ने के लिए पंखों की व्यवस्था होती है जो रोटर्स कहलाते हैं. इसी लिए इन्हें क्वाडरोटर भी कहा जाता है. अनमैन्ड एरियर व्हीकल जो ड्रोन के नाम से ज्यादा प्रचलित हैं. ड्रोन्स रिमोट कंट्रोल से संचालित होते हैं. एक बाज के आकार के या उससे छोटे बड़े हो सकते हैं. यानि ये छोटे एरोप्लेन या छोटे हेलीकॉप्टर की तरह होते हैं और आजकल ड्रोन और क्वाडकॉप्टर शब्द एक ही चीज के लिए बहुत ज्यादा उपयोग में आते हैं.

कैसे काम करता है?

क्वाडकॉप्टर  हमेशा रिमोट कंट्रोल से ही संचालित होते हैं. इसके दो रोटर घड़ी की सुइयों की दिशा में और दो रोटर घड़ी की सुइयों की विपरीत दिशा में घूमते हैं. अगर सभी रोटर्स एक ही दिशा में घूमेंगे तो क्वाडकॉप्टर की उड़ान नियंत्रित नहीं हो पाएगी और इसके साथ ही चौथा रोटर बेकार हो जाएगा. दो अलग दिशाओं के रोटर होने से इसकी उड़ान नियंत्रित करना संभव हो जाता है.

इन कामों में इस्तेमाल

आमतौर पर क्वाडकॉप्टर के वही उपयोग हैं जो किसी ड्रोन के है , वैसे तो क्वाडकॉप्टर या ड्रोन को बच्चों के खिलौने, विडियो या तस्वीरों को खींचने के काम में भी बहुत ज्यादा उपयोग में लिया जाता है, लेकिन इसका सबसे अधिक उपयोग पाकिस्तान की सेना और उससे जुड़े आतंकवादी व तस्कर कर रहे है. इसके अलावा देश विरोधी ताकतें सरहद से हथियार, बारूद, ड्रग्स , फेक करंसी अथवा अन्य अवैध चीजें भेजने समेत सरहद पर चुपके चुपके नजर रखने जैसे कामों में उपयोगी कर रही है. खुफिया इनपुट के अनुसार पाकिस्तानी आर्मी व आतंकवादी लगातार अवैध सामान भेजने के साथ सरहदी इलाके में हमारे जवानों की मूवमेंट की टोह लेते हुए जासूसी कर रहे है.

पाकिस्तानी साजिश में चीन मददगार

पाकिस्तान लगातार क्वाडकॉप्टर का उपयोग कर रहा है.पाकिस्तान काफी समय से आंतकियों, स्लीपर सेल और तस्करों को हथियार या सामान पहुंचाने का काम क्वाडकॉप्टर के जरिए कर रहा है. पाकिस्तान से हथियारों की सप्लाई हो या फिर आंतकियों के लिए किसी तरह का जरूरी सामान पहुंचाना, इसके लिए उसके पास केवल सीमा पर घुसपैठ ही एक जरिया था, परन्तु सीमा पर जवानों का पहरा कड़ा होने से वह अब क्वाडकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहा है.

भारत को कितना खतरा

क्वाडकॉप्टर के जरिए हवा में यह काम करना आसान होता है क्योंकि क्वाडकॉप्टर के छोटे आकार की वजह से इसे पकड़ना आसान नहीं है. क्वाडकॉप्टर के कंप्यूटर से कंट्रोल होने और जीपीएस (GPS) से जुड़े होने की वजह से ये उपकरण हथियार की तरह इस्तेमाल हो रहा है.

इसकी उड़ान क्षमता 150 मिनट है जो सीमा पार करने के लिए काफी है. पाकिस्तान अपने पर्वतीय भूभाग से इसी मशीन के जरिए भारत की सैन्य गतिविधयों पर निगाह रखने के लिए इस मशीन का इस्तेमाल करना चाहता है.

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