Chinese Apps पर परमानेंट बैन से बौखलाया ड्रैगन, अपनी कंपनियों से कहा, ‘भारत सरकार से मुआवजे की मांग करें’
Advertisement
trendingNow1836900

Chinese Apps पर परमानेंट बैन से बौखलाया ड्रैगन, अपनी कंपनियों से कहा, ‘भारत सरकार से मुआवजे की मांग करें’

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत सरकार ने सीमा विवाद पर अपना गुस्सा उतारने और घरेलू कंपनियों एवं भारतीय उत्पादों को बाजार प्रदान करने के लिए यह कदम उठाया है. अखबार ने यह आरोप भी लगाया है कि विदेशी कंपनियों के उत्पादों पर बैन लगाने की भारत की पुरानी आदत है.

 

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)

बीजिंग: सीमा विवाद (Border Dispute) के बाद भारत (India) द्वारा चीनी कंपनियों के खिलाफ की गई कार्रवाई से ड्रैगन की आर्थिक कमर टूट गई है. सरकार ने शुरुआत में TikTok सहित 59 चीनी ऐप (Chinese Apps) को बैन किया था. चीन को उम्मीद थी कि कुछ समय बाद मोदी सरकार बैन हटा लेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब सरकार ने इन सभी ऐप्स पर स्थायी प्रतिबंध लगा दिया है. यानी इन ऐप्स की अब भारत में वापसी नहीं होगी, जाहिर है यह चीन की कम्युनिस्ट सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका है. 

  1. भारत में अब नहीं होगी 59 चीनी ऐप्स की वापसी
  2. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर लिया फैसला
  3. चीन को लाखों-करोड़ों का हो रहा नुकसान

इसलिए लगाया Permanent Ban

भारत से मिले इस ‘झटके’ से चीन (China) बुरी तरह बौखला गया है और उसकी यह बौखलाहट ग्लोबल टाइम्स (Global Times) के संपादकीय में साफ तौर पर नजर आती है. अखबार ने चीनी कंपनियों को भड़काने की कोशिश करते हुए कहा है कि उन्हें भारत सरकार से मुआवजे की मांग करनी चाहिए. बता दें कि भारत ने चीनी कंपनियों से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद उन पर परमानेंट बैन लगाया है. सरकार के इस कदम से बीजिंग को लाखों-करोड़ों रुपये के नुकसान हुआ है. 

ये भी पढ़ें -Pakistan ने पूर्व ISI चीफ Asad Durrani को बताया भारत का जासूस, कोर्ट से कहा, ‘RAW के साथ 2008 से हैं संबंध’

VIDEO

Border Tension का गुस्सा

चीनी कंपनियों से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने को ग्लोबल टाइम्स ने भारत का बहाना बताया है. अखबार ने लिखा है कि भारत सरकार ने सीमा विवाद पर अपना गुस्सा उतारने और घरेलू कंपनियों एवं भारतीय उत्पादों को बाजार प्रदान करने के लिए यह कदम उठाया है. ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में यह आरोप भी लगाया है कि विदेशी कंपनियों के उत्पादों पर बैन लगाने की भारत की पुरानी आदत है. अमेरिकी, जापानी और साउथ कोरियन कंपनियां पूर्व में भारत की इस चाल का अनुभव कर चुकी हैं.  

नीतियों का उल्लंघन बताया 

चीनी ऐप्स पर बैन से बौखलाए कम्युनिस्ट सरकार के मुखपत्र ने इसे विश्व व्यापार संगठन की नीतियों का उल्लंघन करार दिया है. उसने दावा किया है कि भारत में विकसित सभी चीनी ऐप आधिकारिक और कानूनी रूप से पंजीकृत हैं. उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू करके भारत में प्रासंगिक बाजार का पोषण किया है. अब भारत उन्हें बाहर धकेल रहा है और उनकी जगह स्थानीय उत्पादों को बाजार प्रदान कर रहा है. अखबार ने लिखा है कि इस फैसले का भारत की आत्मनिर्भरता से कोई लेना-देना नहीं है, यह बस डकैती है.

Indian कंपनियों को सच पता है

अपने संपादकीय में ग्लोबल टाइम्स ने आगे कहा है, ‘जो भारतीय कंपनियां इस 'डकैती' से लाभान्वित हुई हैं, वह जानती हैं कि वे एक ऐसे कारोबारी माहौल में हैं, जहां किसी भी समय राजनीतिक लाभ के लिए इंट्रेस्ट बैलेंस को पलटा जा सकता है. भारत अभी भी बर्बर युग में है, वह पिछड़ा देश है’. अखबार ने कहा कि संरक्षणवाद एक दोधारी तलवार है, जिससे अन्य देशों की कंपनियों के साथ-साथ भारतीय कंपनियों के भी चोटिल होने की अधिक संभावना है. भारत चीन पर प्रतिबंध लगाना चाहता है. यह प्रतिबंधों के बारे में उसकी निरक्षरता को दर्शाता है.

Chinese कंपनियों को लड़ना चाहिए

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि हम चाहते हैं कि चीनी कंपनियों को कानून का सहारा लेकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और भारत सरकार से नुकसान की भरपाई की मांग करनी चाहिए. चीनी कंपनियों ने भारतीय समाज में अपना योगदान दिया है, लेकिन अब राजनीतिक कारणों से उन्हें देश से बाहर निकाल दिया गया है. यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार गतिविधियों में विशिष्ट समूहों के खिलाफ अभूतपूर्व कार्रवाई है. चीनी कंपनियों को इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए, उन्हें वापस लड़ने की जरूरत है. 

 

Trending news