Imran Khan News: यह पहली बार नहीं जब इमरान खान ने भारत सरकार की तारीफ की हो. पिछले साल मई में उन्होंने कहा था कि भारत ने अमेरिकी दबाव का सामना किया और अपने लोगों की सुविधा के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदा.
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Pakistan News: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान ने एक बार फिर भारत की विदेश नीति की सराहना की. उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद ‘भारत की तरह सस्ता रूसी कच्चा तेल प्राप्त करना चाहता था’ लेकिन ऐसा हो नहीं सका क्योंकि उनकी सरकार गिर गई.
एक वीडियो संदेश में राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम भारत की तरह ही सस्ता रूसी कच्चा तेल प्राप्त करना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि दुर्भाग्य से अविश्वास प्रस्ताव के कारण मेरी सरकार गिर गई.‘
खान ने किया रूस का दौरा
बात दें खान पिछले 23 वर्षों में मॉस्को दौरा करने वाले पहले पाकिस्तानी पीएम थे. हालांकि वह कोई ऐसा सौदा नहीं कर सके जिससे कैश की कमी से जूझ रहे उनके देश को राहत मिल पाती है.
पाकिस्तान अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है. खान ने इस तथ्य पर अफसोस जताया कि उनका देश रूसी कच्चे तेल को रियायती दर पर खरीद सकता है, जो कि यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत मिल रहा है.
युद्ध के पहले दिन इमरान रूस में थे
यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि पिछले साल यूक्रेन युद्ध शुरू होने के दिन वह रूस में थे. उन्होंने क्लिप में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र किया.
पीएम मोदी की तारीफ
दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार नहीं था जब खान ने पश्चिमी दबाव के बावजूद अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और रूसी तेल खरीदने के मामले में भारत की उपलब्धियों को स्वीकार किया है.
इससे पहले मई 2022 में, खान ने संयुक्त राज्य अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस से सस्ते तेल खरीदने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले की सराहना की थी. इमरान ने ट्वीट किया, ‘क्वाड का हिस्सा होने के बावजूद भारत ने अमेरिकी दबाव का सामना किया और अपने लोगों की सुविधा के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदा.‘ उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी सरकार एक स्वतंत्र विदेश नीति के माध्यम से इसे हासिल करने की कोशिश कर रही थी.‘
भारत अपना 85 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला और आयात करने वाला देश है. यह अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. जब से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हुआ है, पश्चिम और यूरोप ने रूसी ऊर्जा पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं. इसके परिणामस्वरूप रूस ने अपने सबसे पुराने सहयोगी भारत को अधिक छूट की पेशकश की.
(इनपुट - एजेंसी)
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