भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव जस का तस, अपनी बातों पर कायम नहीं रहता ड्रैगन
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भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव जस का तस, अपनी बातों पर कायम नहीं रहता ड्रैगन

India China tension: भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर तनाव किसी से छिपा नहीं है. भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर मार्च 2020 में शुरू हुआ टकराव अब भी जारी है.

भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव जस का तस, अपनी बातों पर कायम नहीं रहता ड्रैगन

India-China border tension: भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर तनाव किसी से छिपा नहीं है. भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर मार्च 2020 में शुरू हुआ टकराव अब भी जारी है. देपसांग और डेमचोक में दोनों देशों की सेनाएं अभी भी आमने-सामने हैं. इस विवाद का सबसे बड़ा कारण यह है कि चीन अपनी बात पर कायम नहीं रहता है. 

सीमा पर चीन से तनाव जस का तस

इस बीच भारत-चीन विवाद को लेकर रिटायर्ड जनरल रणबीर सिंह ने भी कहा कि सीमा पर तनाव जस का तस बना हुआ है. चाइना अग्रेसन अनअबेटेड (china aggression unabated) कार्यक्रम में सीमा पर चीन से तनाव को लेकर उन्होंने कहा कि वहां हालात पहले जैसे ही हैं.

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विवाद का नहीं निकल सका हल

उन्होंने कहा कि यह आगे कैसे बढ़ेगा यह कोई नहीं जानता. गलवान को LAC तक सीमित नहीं समझना चाहिए. यह राजनीतिक और सैन्य शक्ति के बारे में दुनिया के लिए रणनीतिक संकेत था. इसे लेकर भारत को क्षमता निर्माण के बारे में गहनता से सोचने की जरूरत है.

चीन की असलियत पहले ही जान गया था भारत

उन्होंने कहा कि 22 दौर की बातचीत के बाद से एसआर को भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन यह भी किसी रिजल्ट पर पहुंचता नहीं दिख रहा है. रणबीर सिंह का कहना है कि चीन अपना रुख बदलता रहता है. गलवान संकट इस बात का उदाहरण है, जिसने संबंधों की दशा और दिशा को उलट दिया. चीन के बढ़ते हौसले के बारे में भारत अपने सैन्य/राजनयिक आकलन में बहुत पहले से ही सही था. वहीं दूसरे सोचते थे कि चीन शांति के रास्ते पर चलेगा और उसका व्यवहार अच्छा होगा.

'जापान को एक संदेश देना चाहता है चीन'

इस कार्यक्रम में जापानी सामरिक मामलों के विशेषज्ञ हिरो अकिता ने भी भाग लिया. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम से जुड़े हिरो अकिता ने ताइवान में चीन की आक्रामकता पर बात की. 
पैनल चर्चा के दौरान उन्होंने जापान और चीन के बीच सेनकाकू द्वीप समूह को लेकर चल रहे क्षेत्रीय विवाद पर भी बात की. साथ ही चीन में सत्तारूढ़ पार्टी सीसीपी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गतिविधियों के बारे में बताया. अकिता ने कहा, 'चीन जापान को एक संदेश देना चाहता था कि टोक्यो को ताइवान पर अमेरिका के साथ अधिक सहयोग नहीं करना चाहिए.' 

'ताइवान पर बढ़ रहा चीनी हमले का खतरा'

चीनी खतरे पर आयोजित इस कार्यक्रम में ताइवान के डिफेंस एक्सपर्ट Dr Ying Yu Lin ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने दुनिया की शांति के लिए चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को बड़ा खतरा बताया. पैनल चर्चा में Dr Ying ने कहा कि चीन अपनी दबंग हरकतों से ताइवान को डराने की कोशिश कर रहा है. वह उस पर हमले की धमकी दे रहा है. अगर ऐसा होता है तो ये केवल ताइवान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत खतरनाक होगा. इस बारे में सभी देशों को आपस में सहयोग बढ़ाना चाहिए. 

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