India-China Tension: कर्नल का कहना है कि चीन के लिए भारत कोई खतरा नहीं है. उनके मुताबिक, चीन की डिफेंस इंडस्ट्री और हथियारों के सिस्टम तक कभी भी भारत पहुंच नहीं पाएगा. वहीं चीन के एक्सपर्ट्स का कहना है कि एलएसी पर दोनों सेनाओं के टकराव के बावजूद चीन से टक्कर लेने के लिए भारत कभी अमेरिका की स्ट्रैटजी का हिस्सा नहीं बनेगा.
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India-China Army: वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच पिछले कुछ साल से तनाव बरकरार है. दोनों देशों की सेनाएं भी आमने-सामने हैं. बीते दिनों सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग का आयोजन हुआ था. लेकिन इस कार्यक्रम में चीन के एक कर्नल का बयान वायरल हो रहा है, जिसमें ड्रैगन का ओवर कॉन्फिडेंस साफ झलक रहा है.
कर्नल का कहना है कि चीन के लिए भारत कोई खतरा नहीं है. उनके मुताबिक, चीन की डिफेंस इंडस्ट्री और हथियारों के सिस्टम तक कभी भी भारत पहुंच नहीं पाएगा. वहीं चीन के एक्सपर्ट्स का कहना है कि एलएसी पर दोनों सेनाओं के टकराव के बावजूद चीन से टक्कर लेने के लिए भारत कभी अमेरिका की स्ट्रैटजी का हिस्सा नहीं बनेगा.
बराबरी नहीं कर पाएगा भारत
दरअसल एशिया का सबसे बड़ा सिक्योरिटी फोरम है शांगरी-ला डायलॉग. चीन के मिलिट्री रिप्रेजेंटेटिव्स के मुताबिक, चीन की सुरक्षा के लिए भारत खतरा नहीं है. वह इसलिए क्योंकि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग और सेना को एडवांस बनाने में वह अभी काफी पीछे है. उनके मुताबिक चीन की सेना को टक्कर देने में भारत अभी कोसों दूर है.
पीएलए एकेडमी ऑफ मिलिट्री साइंसेज के वरिष्ठ कर्नल झाओ जिओझुओ ने कहा, भारत का औद्योगिक बुनियादी ढांचा कमजोर है. इसलिए वह आने वाले दशकों में भी चीन को पछाड़ नहीं पाएगा. उनके मुताबिक चीन ने एक पेचीदा और सिस्टैमैटिक डिफेंस इंडस्ट्रियल प्लेटफॉर्म बनाया है. वहीं जब हम भारत के हथियारों, विमानों, टैंकों और युद्धपोतों को देखते हैं, तो पता चलता है कि उन्होंने किस तरह के हथियार बनाए और विकसित किए.
गलवान के बाद और बढ़ा तनाव
गौरतलब है कि साल 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन और भारतीय सैनिकों की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया था. इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. जबकि चीन को भी भारी नुकसान हुआ था. भारत ने साल 2018 से लेकर 2022 के बीच दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदे. इन हथियारों में करीब 31 प्रतिशत रूस से खरीदे गए. कर्नल झांग ने कहा, 'भारत ने दुनिया की एक बड़ी महाशक्ति बनने के लिए सेना को आधुनिक बनाने में कोई कमी नहीं की है.'