Pakistan: 57 साल के संघर्ष के बाद भारत से पाकिस्तान पहुंची 92 साल की महिला, वजह है बेहद खास
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Pakistan: 57 साल के संघर्ष के बाद भारत से पाकिस्तान पहुंची 92 साल की महिला, वजह है बेहद खास

India-Pakistan: 92 साल की इस भारतीय महिला का नाम रीना छिब्बर है और वह शनिवार को ही पाकिस्तान पहुंची हैं. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सद्भावना के तहत पाकिस्तानी उच्चायोग ने महिला को तीन महीने का वीजा जारी किया है. वह काफी लंबे समय से वीजा के लिए कोशिश कर रहीं थीं.

रीना छिब्बर इसी पैतृक घर को देखने पहुंचीं हैं पाकिस्तान

India and Pakistan Broken Relations: भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में बेशक लंबे समय से खटास कायम है और अधिकतर चीजें बंद हैं, लेकिन अब भी इन दोनों देशों के कुछ लोग अपने अतीत की वजह से एक-दूसरे से दिल से जुड़े हुए हैं. इसकी बानगी शनिवार को तब देखने को मिली जब 92 साल की एक भारतीय महिला अपने पैतृक घर को देखने के लिए पाकिस्तान पहुंची. स्थानीय मीडिया के अनुसार, 92 वर्षीय इस भारतीय महिला का नाम रीना छिब्बर है और वह शनिवार को ही पाकिस्तान पहुंची हैं. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सद्भावना के तहत पाकिस्तानी उच्चायोग ने महिला को तीन महीने का वीजा जारी किया है.

एक साथ काम करे दोनों देशों की सरकार

रिपोर्ट के मुताबिक, महिला शनिवार को अपने पुश्तैनी घर को देखने के लिए वाघा-अटारी सीमा से होकर निकलीं. उनका पुश्तैनी घर पाकिस्तान के रावलपिंडी में प्रेम निवास है. रीना ने दोनों देशों की सरकारों से एक साथ काम करने का आग्रह किया ताकि, हम जैसे लोगों के लिए आने और जाने को आसान बनाने के मकसद से वीजा प्रतिबंधों को कम किया जा सके.

अपने पुस्तैनी घर को नहीं भुला सकती

रीना ने एक मल्टी कल्चरल विविध समुदाय की याद ताजा की जो विभाजन से पहले पिंडी में फल-फूल रही थी, क्योंकि उन्हें सीमा से रावलपिंडी ले जाया गया था. उन्होंने बताया कि, "तब मेरे भाई-बहनों के दोस्त मुसलमानों सहित विभिन्न समुदायों से थे और वे सब हमारे घर आते थे. 1947 में बंटवारे के बाद हमारा परिवार भारत आ गया. उस वक्त मैं 15 साल की थी." वह आगे कहती हैं कि, "अपने पुश्तैनी घर, अपने पड़ोस और गलियों को अपने दिल से नहीं हटा सकती थीं."

1965 से ही वीजा के लिए कर रहीं थीं कोशिश

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि, रीना ने 1965 में पाकिस्तान जाने के लिए वीजा के लिए आवेदन किया था, लेकिन दोनों पड़ोसियों के बीच युद्ध के कारण उच्च तनाव के बीच वह अनुमति नहीं ले सकीं थीं. इसके बाद भी उन्होंने कई बार कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. अब जाकर उन्हें वीजा मिल गया है.

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