चीन की कंपनी साइनोवैक ने कोरोना वैक्सीन के उत्पादन में तेजी ला दी है. उसे चीन की सबसे बेहतरीन वैक्सीन माना जा रहा है. इसके बावजूद उसकी सफलता की दर 60 फीसदी के आसपास है.
बीजिंग: चीन अब दो या अधिक कोरोना वैक्सीन को मिलाकर एक नई कोरोना वैक्सीन बनाने की तैयारी कर रहा है. ताकि कोरोना वैक्सीन ज्यादा असरदार हो सके और कोरोना से लंबे समय तक की प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके. ये नई वैक्सीन स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन में भी आसान होगी. इसके लिए चीन में दवाओं की सर्वोच्च संस्था सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल एंड प्रिवेंसन काम में जुट गई है.
सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल एंड प्रिवेंसन के डायरेक्टर गाओ फु का कहना है कि चीन में 4 तरह की वैक्सीन उपलब्ध है. चीन अपनी वैक्सीन दूसरे देशों को भी दे रहा है. लेकिन इसकी सटीकता कम होने की वजह से सरकार चिंता में है. ऐसे में अब हमारी कोशिश है कि हम दो या ज्यादा वैक्सीन, जो बेहतर हों, उन्हें मिलाकर एक नई वैक्सीन बना लें.
रायटर्स की खबर के मुताबिक, चेंगदू शहर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गाओ ने कहा कि इस साल के आखिर तक हमारी योजना कोरोना वैक्सीन की 300 डोज बनाने की है. हम वैक्सीन को किस तरह से ज्यादा प्रभावी बना सकते हैं, इसपर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि ये लड़ाई इंसानों को बचाने की है. ऐसे में हमें पीछे नहीं हटना चाहिए.
बता दें कि चीन की कंपनी साइनोवैक ने कोरोना वैक्सीन के उत्पादन में तेजी ला दी है. उसे चीन की सबसे बेहतरीन वैक्सीन माना जा रहा है. इसके बावजूद उसकी सफलता की दर 60 फीसदी के आसपास है. कई मामलों में इसकी सफलता की दर 49 फीसदी भी देखी गई, जो डब्ल्यूएचओ के मानकों के हिसाब से कम है. ऐसे में अब चीन कोशिश कर रहा है कि वो दो या अधिक वैक्सीन को मिलाकर नई वैक्सीन बनाए, जो ज्यादा सफल हो.
बता दें कि चीन अगर कोई सामान बाहर से मंगाता है, तो कोशिश करता है कि उसका चीनी वर्जन भी तैयार कर ले. तमाम युद्धक सामानों को लेकर उसके प्रयोग पूरी तरह से सफल रहे हैं, चाहें मामला मिसाइलों का हो या फाइटर जेट्स का. अब चीन दुनिया की बेहतरीन वैक्सीन्स को मिलाकर नई वैक्सीन बनाने चल रहा है, जो उसकी चालाकी को दर्शाता है.
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