Mazagon Dock Shipbuilders: महाराष्ट्र एटीएस ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (Mazagon Dock Shipbuilders) के एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया है. उसपर मझगांव डॉक की खूफिया जानकारी पाकिस्तान को देने के आरोप लगा है. हनी ट्रैप में फंसकर उसने शिपयार्ड में बनने वाले युद्धपोत और बाकी जहाजों की जानकारी पाकिस्तान भेजी. मझगांव डॉक 248 साल पुरानी जहाज बनाने वाली कंपनी है, जिसकी शुरुआत अंग्रेजों ने की थी. आज देस में 12 सरकारी शिप डॉक है, 40 से ज्यादा निजी कंपनियां इस सेक्टर में है, लेकिन सिक्का मझगांव का ही चलता है.
करीब 250 सालों से भारत में जहाज, पनडुब्बी ,वॉरशिप, कार्गो बनाने के काम में जुटी मझगांव डॉक की शुरुआत साल 1776 में दो अंग्रेजों ने की थी. तब यह छोटी नाव बनाने और खराब जहाजों की मरम्मत का काम करती थी. अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान वो दो अंग्रेज विलियम मैकीनॉर विलियम मैकेंजी ने मुंबई के मझगांव में छोटी की शिपिंग रिपेयर यार्ड की शुरुआत की. ईस्ट इंडिया कंपनी के शुरू होने से कारोबार बढ़ रहा है. आयात-निर्यात बढ़ रहा था, ऐसे में शिप यार्ड की जरूरत महसूस होने लगी थी. अंग्रेज चाहते थे कि वेस्टर्न घाट पर एक डॉट बने, लेकिन वो चाहते थे कि डॉक किसी अंग्रेज का हो.
अंग्रेजों को डॉक के लिए भारतीयों को भरोसा नहीं था, इसलिए विलियम की शिपिंग यार्ड तेजी से बढ़ने लगा. छोटी-छोटी नाव की रिपेयरिंग और मैन्युफैक्चरिंग करने से शिपयार्ड की शुरुआत हुई. कुछ साल बाद उन्होंने ब्रिटिश इंडिया नेविगेशन नाम से एक और शिपिंग कंपनी बनाई. आजादी के बाद से इस कंुनी ने 801 शिप्स, 7 सबमरीन, 27 वॉरशिप, कार्गो शिप, पैसेंजर शिप तैयार कर लिया. 3 दशक से काम करने वाली इस कंपनी को साल 1912 में पनिन्सुलर एंड ओरिएंटल स्ट्रीम नेविगेशन कंपनी ने टेकओवर कर लिया. कंपनी के पास देश-विदेश से बड़े-बड़े ऑर्डर आने लगे.
साल 1934 में इस कंपनी को पब्लिक कंपनी के तौर पर रजिस्टर्ड कराया गया. आजादी के बाद साल 1960 में कंपनी केंद्र सरकार के नियंत्रण में आ गई. सरकार के नियंत्रण में आने के बाद कंपनी ने अपनी पहली वॉरशिप नीलगिरी तैयार की. इसके बाद 1978 में कंपनी ने आईएनएस गोदावरी तैयार किया. साल 1984 के बाद कंपनी ने पनडुब्बी बनाना शुरू किया. अब तक कंपनी 7 सबमरीन बना चुकी है. पहली पनडुब्बी का नाम रखा आईएनएस शक्ति. मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस के तहत आने वाली यह कंपनी नेवी, कोस्टगार्ड और ऑयल एंड नेचुरल गैस के लिए लगातार काम कर रही है.
नेवी, कॉस्टगार्ड के अलावा मझगांव डॉक इंटरनेशनल क्लाइंट के लिए भी कार्गो शिप से लेकर पैसेंजर शिप तक बनाती है और उसकी आपूर्ति करती है. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स मुख्यतौर पर दो डिवीजन हैं. पहला जहाज निर्माण और दूसरा पनडुब्बी और भारी इंजीनियरिंग सेक्शन. जो कंपनी कभी छोटी नाव बनाती और मरम्मत करती थी आज इस कंपनी का रेवेन्यू 7.5 हजार करोड़ रुपए है. कंपनी का मार्केट वैल्यूएशन 41,664 करोड़ है.
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