Antarctica Ice Shelf Melting News: अंटार्कटिका में मौजूद बर्फ का समंदर डोल रहा है. हर दिन यह थोड़ा इधर-उधर खिसक जाता है. एक नई स्टडी में यह बात पता चली है. Ross Ice Shelf अंटार्कटिका की सबसे बड़ी बर्फीली चट्टान है. हालिया रिसर्च के मुताबिक, फ्रांस के आकार की यह चट्टान रोज एक-दो बार 6 से 8 सेंटीमीटर खिसकती है. इस चट्टान का नाम ब्रिटिश एक्सप्लोरर सर जेम्स क्लार्क रॉस के नाम पर रखा गया है. रॉस ने ही 19वीं सदी में इस चट्टान की खोज की थी. जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपी स्टडी के अनुसार, Ross Ice Shelf के रोज खिसकने की वजह एक बर्फीली धारा है. स्टडी के लीड ऑथर, डग वीन्स के मुताबिक, यह धारा सीधे चट्टान में बहती है. वैज्ञानिक बर्फीली धाराओं और बर्फीली चट्टानों के बीच ऐसी घटनाओं से चकित हैं. अंटार्कटिका में मौजूद कई बर्फीली चट्टानों को ग्लोबल वार्मिंग की वजह से खतरा पैदा हो गया है. वैज्ञानिकों को चिंता है कि बर्फीली चट्टानों पर दबाव का नतीजा बड़े भूकंप के रूप में सामने आ सकता है.
अंटार्कटिका में बर्फ की मोटी चादर मौजूद है. इससे बर्फ की तमाम नदियां निकलती हैं. ये समय-समय पर भरती और बहती हैं. बर्फीली चट्टानों का काम ग्लेशियरों और बर्फीली नदियों के रास्ते में रुकावट पैदा करना है. ये उन्हें समुद्र में जाकर पिघलने से रोकती हैं. अगर बर्फीली चट्टानें न होतीं तो अंटाकर्टिका में इतनी बर्फ कभी जमा नहीं हो पाती.
आमतौर पर बर्फीली नदी में लचीली लहरों की शुरुआत 'स्लिप इवेंट' से होती है. यह प्रक्रिया काफी हद तक धरती पर भूकंप की तरह होती है. वैज्ञानिक सिस्मोग्राफ की मदद से इन बर्फीली धाराओं में अचानक मूवमेंट को पकड़ पाते हैं.
पिछले 50 सालों की रिसर्च में पता चला है कि कुछ बर्फीली धाराएं तेज हो रही हैं तो कुछ धीमी. रॉस आइस शेल्फ पर तमाम सिस्मोग्राफ और जीपीएस लगाए गए हैं. इसमें बहने वाली धाराओं में से एक व्हिलंस आइस स्ट्रीम है. वैज्ञानिकों मुताबिक, व्हिलंस आइस स्ट्रीम में लचीली लहरों की रफ्तार 10 हजार किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा है. जब ये लहरें गुजरती हैं तो 5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैली पूरी चट्टान ही खिसक जाती है.
रिसर्च दिखाती है कि बर्फीली चट्टान पर दिन में एक-दो बार ऐसी घटना से ही बर्फीले भूकंप आ सकते हैं. इससे चट्टान को ही खतरा पैदा हो गया है. अगर कोई बर्फीली चट्टान ढह जाए तो ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे. पिघलती हुई बर्फ तेजी से समुद्र की ओर बढ़ेगी. नतीजा समुद्रों का जलस्तर बढ़ेगा.
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