Humans On Moon: चंद्रमा, पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है और ब्रह्मांड में हमारा पड़ोसी. इंसान ने 1969 में ही चंद्रमा पर कदम रख दिए थे. हालांकि, उसके बाद दोबारा कभी इंसान ने चंद्रमा की यात्रा नहीं की. अब अमेरिका, चीन, भारत समेत कई देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां चंद्रमा को केंद्र में रखकर मिशन प्लान कर रही हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के इरादे तो चंद्रमा पर इंसानी बस्ती बसाने के हैं. क्या इंसान कभी चंद्रमा पर पृथ्वी की तरह रह पाएगा?
चीन के चंद्रमा मिशनों- Chang’e-1 और Chang’e-2 के डेटा से चंद्रमा के बारे में नई जानकारी मिली. वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर कॉम्पटन-बेल्कोविच नामक एक संदिग्ध ज्वालामुखीय स्थान की सतह के नीचे अत्यधिक गर्मी पाई. चंद्रमा की सतह पर इतने बड़े हॉटस्पॉट के अस्तित्व को केवल तभी समझाया जा सकता है जब नीचे मौजूद ग्रेनाइट चट्टान में रेडियोधर्मी क्षय (radioactive decay) से गुजरने वाले तत्व, जैसे थोरियम और यूरेनियम मौजूद हों.
रिसर्चर्स का अनुमान है कि इस बैकग्राउंड रेडियोएक्टिविटी का स्तर करीब 0.3 मिलीसीवर्ट प्रति वर्ष है. यह वास्तव में लगभग 6 मिलीसीवर्ट प्रति वर्ष की तुलना में बहुत कम है, जो पृथ्वी पर हर व्यक्ति को नैचुरल रेडिएशन सोर्सेज के चलते हर साल मिलता है.
हालांकि, चंद्रमा पर आपको रेडिएशन के अन्य सोर्सेज का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन पृथ्वी पर ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र के कारण आप इनसे बचे हुए हैं. इनमें गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणें, सूर्य से आने वाले ऊर्जावान कण और विकिरण और चंद्रमा की मिट्टी के बीच परस्पर क्रिया से उत्पन्न न्यूट्रॉन और गामा किरणें शामिल हैं.
इन सभी रेडिएशन सोर्सेज की औसत अधिकतम खुराक का अनुमान प्रति वर्ष 400 मिलीसीवर्ट से अधिक है. अत्यधिक ऊर्जावान सौर ज्वालाओं के बाद यह बहुत अधिक हो सकता है. यानी, भले ही चंद्रमा पर प्राकृतिक रेडियोधर्मिता का स्तर बहुत कम है, फिर भी आयनकारी रेडिएशन के सभी सोर्सेज पर विचार किया जाए तो इंसान के लिए यह एक कठोर वातावरण है.
अमेरिकी एजेंसी NASA 2025 या 2026 में आर्टेमिस III मिशन लॉन्च करने वाली है. इस मिशन के जरिए चंद्रमा पर पहली महिला और पहला अश्वेत व्यक्ति उतरेगा.
चीन ने रूस के साथ मिलकर 2035 तक चंद्रमा पर एक संयुक्त बेस स्थापित करने की योजना की घोषणा की है. हालांकि, इस परियोजना के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है.
इसरो ने चंद्रयान-4 की घोषणा की है, जो भारत की चंद्रमा सीरीज का चौथा मिशन है. इसका मकसद एनालिसिस के लिए नमूने वापस लाना है. इसे 2028 से पहले लॉन्च करने का प्लान नहीं है.
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