चंद्रयान 3 , चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए पूरी तरह तैयार है. शाम पांच बजकर 47 मिनट से फाइनल डिसेंट यानी दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर के उतरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. उससे ठीक पहले इसरो सेंटर में कैसा माहौल है उसके बारे में हम बताएंगे.
23 अगस्त इसरो के लिए खास रहने वाला है. उसके पीछे वजह भी है, विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना है. उससे पहले इसरो सेंटर में वैज्ञानिकों की हर एक गतिविधि पर पैनी नजर है.
इसरो के वैज्ञानिकों को भरोसा है कि वर्षों तक चली मेहनत का अंतिम नतीजा आने वाला है. इसरो का कहना है कि अब तक के सभी चरणों में जिस तरह से कामयाबी मिली है उससे साफ है कि हम अंतिम चुनौती को भी पार करने में कामयाब होंगे
14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से चंद्रयान 3 का सफल प्रक्षेपण किया गया था. पिछले 39 दिन के सफर में चंद्रयान से संबंधित जितने चरण थे उन्हें कामयाबी के साथ पूरा किया गया. विक्रम लैंडर जब चांद की सतह से करीब 100 किमी ऊंचाई पर था उस वक्त पुराने विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित हुआ था.
भारत का चंद्रयान 3 मिशन अमेरिका, रूस और चीन के मिशन से इसलिए अलग है क्योंकि इनमें से किसी भी देश ने साउथ पोल को फतह नहीं किया है.
भारत का यह तीसरा मून मिशन है, पहले मून मिशन का मकसद दूर से चांद को समझना था. दूसरा मून मिशन यानी चंद्रयान 2 चांद की सतह पर पहुंचने में कामयाब तो रहा लेकिन विक्रम 3 लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई थी.
भारत के मून मिशन पर इंटरनेशनल मीडिया की तरफ से भी रिएक्शन आया है. विदेशी मीडिया में बताया जा रहा है कि यह मिशन ना सिर्फ भारत के लिए बल्कि वैश्विक आबादी के लिए भी अहम है.
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