आखिरकार चन्द्रयान-3 इसरो की उम्मीदों और इसरो की मेहनत पर खरा उतरा और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर गया. यह मिशन आसान नहीं था क्योंकि अभी तक कोई भी देश यह इतिहास नहीं रच पाया है.
भारत के वैज्ञानिकों ने वह कर दिखाया जो कोई भी देश नहीं कर पाया. यह मिशन आसान नहीं था, पहली बार कोई मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतर गया है. आइए देखते हैं तस्वीरों के माध्यम से कि यह मिशन कब लॉन्च हुआ और कैसे यह चांद की सतह पर पहुंचा है.
दरअसल, 6 जुलाई को इसरो ने घोषणा की थी कि श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को चंद्रयान की लॉन्चिंग होगी और उसे चांद के लिए उसे भेजा जाएगा. फिर 14 जुलाई को चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई. इसकी लॉन्चिंग एलवी M3 M4 रॉकेट के जरिए इसे लॉन्च किया गया.
इसके बाद एक अगस्त को चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के ऑर्बिट से आगे बढ़ते हुए ट्रांसलूनर ने ऑर्बिट में प्रवेश किया. इसके बाद 5 अगस्त को चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक चांद के ऑर्बिट में प्रवेश किया था.
अंततः चंद्रयान-3 मंजिल पर पहुंच गया. लैंडिंग के लिए 23 अगस्त 2023 की शाम के 6:04 का समय तय किया गया था और ठीक इसी समय इसरो ने इतिहास रचते हुए चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग करा दी है
अंतरिक्ष को भेदते हुए भारत ने वो कर दिखाया जो कोई भी देश नहीं कर पाया. पहली बार कोई मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतर गया है.
यह बात सही है कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग के दौरान हुई तकनीकी विफलताओं को ध्यान में रखते हुए चंद्रयान-3 को और अधिक कुशल बनाया गया जिसका परिणाम पूरी दुनिया ने देख लिया.
परिणाम यह हुआ कि भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश और चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला देश बन गया है.
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