Advertisement
trendingPhotos2032501
photoDetails1hindi

₹300 और तीन कुर्सी वाले दफ्तर से खड़ा कर दिया अरबों का कारोबार, रिलायंस की सक्सेस के पीछे इस शख्स का दिमाग


Dhirubhai Ambani Birth Anniversary:   न तो उनके पास कारोबार का अनुभव था, न ही पैसा। मेले में गांठिया बेचकर परिवार की मदद करने वाले 10वीं पास धीरूभाई अंबानी से सिर्फ 300 रुपये से शुरुआत की और देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज खड़ी कर दी।   

10वीं पास शख्स की कहानी

1/5
 10वीं पास शख्स की कहानी

धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932  को गुजरात के छोटे से कस्बे में हुआ। पिता टीचर थे और मां हाउस वाइफ। पांच भाई-बहन के साथ पूरा परिवार दो कमरे के घर में रहता था। परिवार की मदद के लिए बचपन से ही उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। धीरूभाई ने ठेले पर गांठिया बेचना शुरू कर दिया, जो थोड़ा बहुत कमाते थे, मां को सौंप देते थे। 10वीं पास की तो अपने भाई रमणीकलाल के पास यमन चले गए। वहां पेट्रोल पंप पर नौकरी की। पूरे दिन के काम के बदले 300 रुपये की सैलरी मिलती थी। नौकरी में उनका मन नहीं लग रहा था। वो अपना खुद का काम करना चाहते थे। इसी सोच के साथ वो  वापस भोरत लौट आए। 

मुंबई से शुरू हुआ सपनों का सफर

2/5
 मुंबई से शुरू हुआ सपनों का सफर

सेविंग के तौर पर उनके पास बस, 500 रुपये थे, जिसे लेकर वो मुंबई पहुंच गए। उन्होंने अपने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी के साथ मिलकर रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी की शुरुआत का। इस कंपनी की मदद से वो पश्चिमी देशों में अदरक, हल्दी और अन्य मसाले बेचते थे। धीरूभाई को बाजार और मांग की अच्छी जानकारी थी। वो समझ चुके थे कि आने वाले दिनों में पॉलिएस्टर कपड़ों की डिमांड बढ़ने वाली है। उन्होंने अब इस पर जोर देना शुरू किया।   

तीन कुर्सी से शुरू हुआ रिलायंस का सफर

3/5
 तीन कुर्सी से शुरू हुआ रिलायंस का सफर

धीरूभाई अंबानी ने मुंबई में 350 वर्ग फुट का कमरा किराए पर लिया। ऑफिस में एक टेबल और तीन कुर्सियों के अलावा कुछ नहीं था। इसी एक छोटे से कमरे से उन्होंने रिलायंस इंजस्ट्रीज का सफर तय किया। मसालों के साथ-साथ पॉलिएस्टर कपड़ों का काम शुरू कर दिया। साल 1966 में उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद में एक कपड़ा मिल की शुरुआत की। इसका नाम रखा  रिलायंस टैक्सटाइल्स। धीरे-धीरे उन्होंने कारोबार को बड़ा करना शुरू किया। 

मिट्टी बेचकर कमाई

4/5
 मिट्टी बेचकर कमाई

धीरूभाई बिजनेस का हर गुर जानते थे। एक बार उन्होंने अरब देश के एक शेख को भारत की मिट्टी बेचकर उससे कमाई कर ली। दरअसल शेख को अपने बगीचे में गुलाब के फूल उगाने थे, जिसके लिए उसे उपजाऊ मिट्टी चाहिए थी। धीरूभाई अंबानी ने अपने कॉन्टैक्ट्स के माध्यम से भारत से मिट्टी अरब शेख तक पहुंचा दी। इसके बदले में शेख ने उन्हें मुंहमांगी कीमत दी। धीरूभाई अंबानी का कारोबार बड़ा होने लगा था। टेक्स्टाइल सेक्टर में कंपनी बड़ा नाम बनने लगी थी। टेक्सटाइल के अलावा टेलीकम्यूनिकेशन, टेलीकॉम इंफॉर्मेशन, एनर्जी, इलेक्ट्रिसिटी रिटेल, इंफ्रास्ट्रक्चर, कैपिटल मार्केट और लॉजिस्टिक्स तक कंपनी का विस्तार हो चुका था।  

भारत का पहला आईपीओ

5/5
 भारत का पहला आईपीओ

धीरूभाई अंबानी ने आजाद भारत का पहला IPO लाने का फैसला किया। उस वक्त 10 रुपये शेयर प्राइज पर 2.8 मिलियन शेयर का IPO पेश किया गया। उस वक्त ये शेयर सात गुना ओवर सब्सक्राइब हुआ था। धीरूभाई अंबानी एक शानदार ​टीम लीडर थे। कितना भी बिजी शिड्यूल हो वो अपने कर्मचारियों से जरूर मिलते थे, उनकी समस्या सुनते और हल करते थे।उन्होंने साबित कर दिया कि शून्य से भी शिखर पर पहुंचा जा सकता है। आज उनके बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी रिलायंस के कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं।  

 

ट्रेन्डिंग फोटोज़