Ganesh Sthapana Direction: गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है. गणेश स्थापना के लिए धर्म-शास्त्रों में कुछ जरूरी नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी है. जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार गणेश जी की मूर्ति किस दिशा में स्थापित करें और गणपति का मुख किस ओर होना चाहिए.
हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी पर गणेश जी की स्थापना की जाती है. इस साल 7 सितंबर 2024, शनिवार को गणेश चतुर्थी है और इसी दिन गणपति बप्पा की प्रतिमाएं स्थापित होंगी. 10 दिन तक गणेश जी के भक्त उनकी सेवा, पूजा-अर्चना करेंगे और फिर 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन होगा.
गणेशोत्सव पर यदि आप भी घर या ऑफिस में गणेश जी की स्थापना कर रहे हैं तो वास्तु से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखें. वरना गलत दिशा में या गलत तरीके से गणेश जी की स्थापना करना जीवन पर संकट ला सकता है.
गणेश जी की मूर्ति वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में स्थापित करें. वास्तु के अनुसार गणेश प्रतिमा स्थापित करने के लिए सबसे शुभ दिशा उत्तरपूर्व का कोना यानी कि ईशान कोण है. यदि ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है तो पूर्व या पश्चिम दिशा में गणपति बप्पा की स्थापना करें. इन दिशाओं में गणेश मूर्ति का मुख होना शुभ फल देता है.
ध्यान रहे कि गलती से भी भगवान गणेश की मूर्ति को घर में दक्षिण दिशा में स्थापित ना करें. ना ही इस दिशा में पूजा घर होना चाहिए. दक्षिण दिशा में भगवान की स्थापना या पूजा वर्जित है.
घर में गणपति स्थापना के लिए बाईं तरफ सूंड वाली गणेश प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है. जो उनकी मां गौरी के प्रति उनका प्यार दर्शाती है. खास तौर पर जो लोग मां गौरी और भगवान गणेश को एक साथ पूजते हैं वे वामवर्ती सूंड वाली गणपति प्रतिमा ही लें.
भगवान गणेश की मूर्ति घर में इस प्रकार स्थापित करें कि उनकी पीठ घर के किसी भी कमरे की ओर ना हो क्योंकि कहा जाता है कि गणेश जी की पीठ के पीछे दरिद्रता वास करती हैं. लिहाजा गणेश प्रतिमा की पीठ घर के बाहर की ओर ही हो.
भगवान गणेश की मूर्ति उस दीवार की ओर स्थापित न करें जो टॉयलेट की दीवार हो. ऐसा करना घर-परिवार पर संकट ला सकता है.
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