Hypersonic Missiles: अग्निवीरों के प्रशिक्षण के लिए भी सेना ने अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षण सुविधाओं को आधुनिक बनाया है. शारीरिक प्रशिक्षण के लिए अत्याधुनिक सुविधाएँ स्थापित की गई हैं और कक्षाओं को ऑडियो-विज़ुअल ट्रेनिंग उपकरणों से लैस किया गया है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) देश की सुरक्षा बलों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित कर रहा है. इसके साथ ही, भारतीय सेना लंबी दूरी की क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलें जैसे 2,000 किलोमीटर की रेंज वाली निर्भय और 400 किलोमीटर की रेंज वाली प्रलय मिसाइलों को शामिल करने की तैयारी कर रही है. भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल ए कुमार ने बताया कि सेना लंबी दूरी की रॉकेट प्रणाली पर भी काम कर रही है और स्वदेशी पिनाका रॉकेट की रेंज को 300 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है.
लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने जानकारी दी कि सेना को प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल और निर्भय मिसाइलों के अधिग्रहण के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद से मंजूरी मिल चुकी है. उन्होंने यह भी बताया कि हाइपरसोनिक मिसाइलों पर DRDO का विकास कार्य तेजी से चल रहा है और इन मिसाइलों की रेंज, सटीकता और मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए अनुसंधान किया जा रहा है. इसके अलावा, पिनाका रॉकेट प्रणाली को और अधिक सशक्त और मारक बनाने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने गोला-बारूद की सटीकता और मारक क्षमता बढ़ाने के लिए हो रहे सुधारों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि सेना लगातार निजी और सरकारी क्षेत्रों के साथ मिलकर सेंसर फ्यूज्ड म्यूनिशन (SFM), रैमजेट का उपयोग करके विस्तारित रेंज गोला-बारूद और कोर्स करेक्टेबल फ्यूज (CCF) विकसित कर रही है. इसके अलावा, सटीकता को और बढ़ाने के लिए लोइटर म्यूनिशन, स्वार्म ड्रोन और रनवे इंडिपेंडेंट RPAS जैसे अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद की जा रही है.
उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा ऑपरेशनल स्थिति को देखते हुए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में वास्तविक ऑपरेशनल परिस्थितियों को शामिल किया जा रहा है. विशेष तकनीकी उपकरणों जैसे स्वार्म ड्रोन और रनवे इंडिपेंडेंट RPAS के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है.
अब तक आर्टिलरी रेजिमेंट में 19 महिला अधिकारियों को कमीशन किया गया है और इन्हें विभिन्न उपकरण और भौगोलिक परिस्थितियों वाले यूनिट्स में तैनात किया गया है. लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने विश्वास जताया कि ये महिला अधिकारी अपने करियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगी. इसके साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध से सेना ने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं और सेना अपने तकनीकी, रणनीतिक और परिचालन नवाचारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना किया जा सके.
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