Kolkata doctor rape-murder case: हर साल की तरह इस बार भी इंडिपेंडेस डे (Independence Day) धूमधाम से मनाया गया. पूरे देश में सेना और सैनिकों की वीरगाथा गाई गई. मोबाइल से लेकर सोशल मीडिया पर तिरंगे की डीपी दिखी. मॉल/मल्टीप्लेक्स भी देशभक्ति की फिल्में लगीं. TV पर भी आजादी के जश्न की धूम रही. 'तिरंगा' जैसी देशभक्ति की फिल्में दिखाई गईं. इसके अलावा इस खास दिन सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक पुलिस खूब चर्चा हुई. पुलिस शब्द ही मानो ट्रेंड में रहा. अब आपको पुलिस की ऐसी कहानी बताते हैं, जिससे बहुत से लोग अबतक अनजान होंगे. यहां बात पुलिस के ड्रेस कोड की जिसके तहत देशभर की पुलिस खाकी वर्दी पहनती है. लेकिन कोलकाता की पुलिस सफेद वर्दी क्यों पहनती है, आइए बताते हैं.
कोलकाता पुलिस की वर्दी की बात यहां इसलिए क्योंकि खाकी में दाग की खबरें तो आपने पहले भी पढ़ी होंगीं, लेकिन सफेद वर्दी पर जो सवाल उठे तो लोगों का ध्यान एक बार फिर उनकी वर्दी के रंग पर गया. गौरतलब है कि कोलकाता के आरजी कार अस्पताल की डॉक्टर के साथ अस्पताल में रेप और हत्या के बाद कोलकाता पुलिस लोगों के निशाने पर है. पुलिस पर जांच को सही तरह से आगे न बढ़ाने के आरोप लगे हैं. हाईकोर्ट ने भी सरकार से लेकर पुलिस-प्रशासन को जमकर फटकार लगाई है.
कश्मीर हो या कन्याकुमारी! पुलिस की एकमात्र पहचान ही 'खाकी' रंग से होती है. पर ये रंग कैसे चुना गिया, इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. इसका इतिहास आपको जरूर चानना चाहिए. जब अंग्रेज भारत में आए, तो उन्होंने पुलिस डिपार्टमेंट की यूनिफॉर्म सफेद रंग (Why Kolkata police uniform white) की ही तय की थी. जब अंग्रेजों के बनाए कानून यहां 100 साल तक ढोए गए तो भला ये वर्दी वाली बात यहां क्यों नहीं मानी जाती?
जब अंग्रेजों ने हर स्टेट की पुलिस की वर्दी का रंग सफेद ही तय किया था तो अचानक बाकी देश की पुलिस खाकी में कैसे आ गई? पुलिस की ड्रेस 'खाकी' हो गई तो कोलकाता की पुलिस पर वो फैसला क्यूं नहीं लागू हुआ. यानी जब देशभर की पुलिस खाकी धारण करके काम करती है तो कोलकाता की पुलिस काहे सफेद वर्दी पहनकर शहर का लॉ एंड ऑर्डर संभालती है? आइए बताते हैं.
अंग्रेजों द्वारा डिसाइड की गई सफेद पुलिस यूनिफॉर्म देखने में बहुत अच्छी तो लगती थी, पर सफेद रंग के साथ एक बड़ी दिक्कत ये भी थी कि भारत की धूल-मिट्टी वाली कच्ची-पक्की सड़कों पर पुलिस की ड्रेस जल्दी मैली हो जाती थी. पुलिस मैनुअल के मुताबिक गंदी यूनिफॉर्म पहनना अनुशासनहीनता होती है. ऐसे में खुद अंग्रेज पुलिस अफसरों ने अपनी वर्दी को डाई करना शुरू कर दिया.
उस वक्त डाई करने के लिए चाय की पत्ती का यूज होता था. जिससे व्हाइट यूनिफॉर्म का रंग हल्का पीला से लेकर भूरा हो जाता था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1847 में नॉर्थवेस्ट फ्रंटियर के गवर्नर जनरल ने एक सैनिक को खाकी रंग की पोशाक पहने देखा, बस तब से ही उन्होंने पुलिस की यूनिफॉर्म के लिए खाकी रंग ही चुन लिया. बस तब से ही पुलिस की यूनिफॉर्म खाकी रंग की होने लगी. अब बात कोलकाता पुलिस की तो आज भी वहां पुराना प्रोसिजर क्यों फॉलो हो रहा है. ये सवाल भी अपनी जगह बना हुआ है.
पश्चिम बंगाल के अन्य जिलों की पुलिस भी खाकी पहनती है, पर कोलकाता पुलिस सफेद वर्दी पहनती है, इसकी वजह इतिहास और विज्ञान दोनों हैं. कोलकाता पुलिस और बंगाल पुलिस अलग-अलग हैं. 1861 में ब्रिटिश राज के दौरान बने नियमों के हिसाब से बनी राज्य पुलिस से अलग कोलकाता पुलिस की व्यवस्था थी, जो केवल शहर पर लागू होती थी. ऐसे में अपनी विशेष पहचान के लिए उस दौर की कलकत्ता पुलिस की ड्रेस अलग रखी गई. कोलकाता पुलिस आज भी ब्रिटिश काल का ड्रेस कोड फॉलो करती है. हालांकि इस सवाल के जवाब में ये तर्क भी दिया जाता है कि कोलकाता में गर्मी काफी ज्यादा पड़ती है, इस वजह से सफेद यूनिफॉर्म होने से कर्मियों को काफी सहूलियत होती है.
कहा तो ये भी जाता है कि समंदर किनारे बसे कोलकाता में सालभर गर्मी और नमी रहती है. ऐसे में सफेद रंग की ड्रेस पुलिस के लिए उपयुक्त रहती है. पुलिस को कामकाज में सुविधा हो ऐसे में उनकी वर्दी का रंग सफेद ही रहने दिया गया.
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