Zivame Innerwear Business: भले ही लोग कितने भी मॉर्डन होने का दावा करें, लेकिन आज के मॉडर्न युग में भी हमारे देश की महिलाओं को दुकानों में अंडरगारमेंट्स खरीदने में शर्म आती है, अगर दुकानदार पुरुष हो तो मुश्किल और शर्म और बढ़ जाती है. जब खरीदने में इतनी शर्म आती है तो जरा सोचिए कि जब 13 साल प
Zivame Innerwear Business: भले ही लोग कितने भी मॉर्डन होने का दावा करें, लेकिन आज के मॉडर्न युग में भी हमारे देश की महिलाओं को दुकानों में अंडरगारमेंट्स खरीदने में शर्म आती है, अगर दुकानदार पुरुष हो तो मुश्किल और शर्म और बढ़ जाती है. जब खरीदने में इतनी शर्म आती है तो जरा सोचिए कि जब 13 साल पहले एक लड़की के ब्रा और पैंटीज बेचने की बात कही होगी तो परिवार का कैसा रिएक्शन रहा होगा. जैसा आप सोच रहे हैं ठीक वैसा ही अनुभव रहा, घर वालों ने आइडिया सुनते ही रिजेक्ट कर दिया.
मां ने तो यह तक कह दिया कि अगर कोई पूछेगा कि बेटी क्या करती है तो कैसे बताऊंगी ? कैसे बताऊंगी की मेरी बेटी ब्रां-पैंटी बेचती है. लोगों ने मजाक उड़ाया, दोस्तों ने ताने मारे, लेकिन रिचा कर ने जो ठान लिया उसे करके दी दम लिया.
साल 1980 में जमदेशपुर की मिडिल क्लास फैमिली में जन्मी रिचा ने बिट्स पिलानी से ग्रेजुएशन किया. पढ़ाई पूरी होते ही बेंगलुरु में नौकरी लग गई,लेकिन जॉब में मन नहीं लगा. रिचा अपना बिजनेस शुरू करना चाहती था. उन्होंने देखा कि महिलाओं को अंडरगारमेट्स खरीदते समय काफी परेशानी और असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है. बस यही से उन्हें अपने बिजनेस का आइडिया मिल गया.
रिचा ने महिलाओं की इस समस्या को ही अपने बिजनेस से खत्म करने का प्लान बनाया और साल 2011 में जिवामे ( Zivame) की शुरुआत की. 35 लाख के शुरुआती निवेश के लिए दोस्तों और घरवालों से मदद मांगी. जिवामे ऐप शुरू किया, जहां महिलाओं के ब्रा-पैंटी की लार्ज रेंज रखी गई, जहां वो अपने कंफर्ट के हिसाब से अंडरगारमेट्स की खरीदारी कर सकती है.
रिचा ने ऑफिस के लिए जगह की तलाश की, लेकिन कोई अंडरगारमेंट के बिजनेस के लिए उन्हें जगह देने को तैयार नहीं था. बड़ी मुश्किल ने उन्हें एक जगह मिली, जहां उन्होंने मकान मालिक को बस ये बताया कि वो ऑनलाइन बिजनेस करती है. बिजनेस में वक्त की डिमांड थी, इसलिए उन्हें अपनी नौकरी तक छोड़नी पड़ी. शुरुआत में काफी दिक्कतें आई. इसी तरह उन्हें पेमेंट गेटवे हासिल करने के लिए काफी परेशानी हुई. दिक्कतों को पार करने के बाद चीजें रास्ते पर आने लगी. 3 साल की पड़ी मेहनत के बाद रिचा का लॉन्जरी बिजनेस खड़ा हो सका.
शुरुआती वरेशानी के बाद उनकी बिजनेस तेजी से बढ़ने लगा. देश के हर पिन कोड पर उनके ऑर्डर की डिलीवरी होने लगी. हर मिनट एक ऑर्डर बुक होने लगे. कुछ ही सालों में रिचा की कंपनी की वेल्यू 270 करोड़ रुपए पर पहुंच गई. देशभर में 5 हजार लॉन्जरी स्टाइल, 50 ब्रांड और 100 साइज के साथ उनकी कंपनी बड़ी होती चली गई. ट्राई एट होम, फिट कंसल्टेंट, विशेष पैकिंग और बेंगलुरु में फिटिंग लाउंज जैसी ऑफरिंग्स देना शुरू कर दिया.
कंपनी का नाम चल पड़ा तो साल 2020 में ईशा अंबानी ने जिवामे को खरीद लिया. रिलायंस रिटेल ने रिचा की कंपनी खरीद ली. इस सफलता के लिए रिचा को साल 2014 में फॉर्च्यून इंडिया की ‘अंडर 40’ लिस्ट में शमिल किया गया. उनकी कंपनी की वैल्यूएशन 1500 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. रिलायंस रिटेल का हिस्सा बनी जिवामे में रिचा की इक्विटी बनी हुई है. इस कंपनी में रिलायंस ने 85 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली.
ट्रेन्डिंग फोटोज़