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₹150000 करोड़ कंपनी का मालिक, लेकिन न बंगला, न मोबाइल, बस एक सस्ती वाली कार...इस अरबपति की सादगी हैरान कर देगी

अक्सर देखा जाता है कि पैसों के साथ दिखावा साथ में आ जाता है. जिसके पास जितना पैसा वो उतना ही दिखावा करता है. आलीशान घर, लग्जरी कार, फैशनेबल और महंगे कपड़े...लेकिन आज जिस शख्स के बारे मं हम आपको बताने जा रहे हैं उन्हें देखकर आप उनकी दौलत का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं.

Shriram Group owner

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Shriram Group owner

Shriram Group owner : अक्सर देखा जाता है कि पैसों के साथ दिखावा साथ में आ जाता है. जिसके पास जितना पैसा वो उतना ही दिखावा करता है. आलीशान घर, लग्जरी कार, फैशनेबल और महंगे कपड़े...लेकिन आज जिस शख्स के बारे मं हम आपको बताने जा रहे हैं उन्हें देखकर आप उनकी दौलत का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं. करोड़ों की कंपनी के मालिक की सादगी देख कई बार लोग धोखा खा जाते हैं कि सच में यही इस कंपनी के सर्वेसर्वा है.  

कौन हैं श्री राम ग्रुप के मालिक

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 कौन हैं श्री राम ग्रुप के मालिक

 

1.50 लाख करोड़ कंपनी के मालिक राममूर्ति त्‍यागराजन है. राममूर्ति के पास पैसों की कोई कमी नहीं है, लेकिन उनकी सादगी आपको हैरान कर देगी. साधारण परिवार से आने वाले राममूर्ति  के बैंक खाते में इतने पैसे हैं, जिसे खर्च करने में सालों लग जाएंगे, लेकिन दिखावा के नाम पर वो कुछ नहीं करते. वो इतनी साधारण जीवन जीते हैं कि उनके पास न तो मोबाइल फोन है और न ही  लग्जरी कार और न ही आलीशान बंगला. 

कैसे हुई श्री राम ग्रुप की शुरुआत

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 कैसे हुई श्री राम ग्रुप की शुरुआत

 

साल 1960 में श्रीराम ग्रुप के फाउंडर राममूर्ति त्‍यागराजन ने छोटी सी चिप फंड कंपनी की शुरुआत की. लोन बांटने वाली कंपनी श्रीराम ग्रुप कुछ ही सालों में छोटी से बड़ी कंपनी बन गई. कुछ ही सालों में छोटी की कंपनी एक जाना-माना नाम बन गया. श्रीराम ग्रुप में फाइनेंशियल कंपनी  के तौर पर देशभर में फैल गई. कंपनी लोन से लेकर बीमा तक की तमाम सुविधाएं देती है. 

लोगों की जरूरत के लिए की शुरुआत

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 लोगों की जरूरत के लिए की शुरुआत

     शुरुआती पढ़ाई गांव से पूरा करने के बाद राममूर्ति त्‍यागराजन कॉलेज चेन्नई में की. दो साल कोलकाता में पढ़ाई करने के बाद उन्होंने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी कर ली. उन्होने देखा कि लोग उनसे अक्सर अपनी जरूरतों के लिए, कुछ खरीदने के लिए उधार पर पैसे मांगने आते थे. ये वो लोग थे, जिन्हें बैंक लोन नहीं देता था. खासकर ट्रक ड्राइवर और छोटे व्यवसाय जैसे कम आय वाले लोगों को बैंकों से लोन नहीं मिल पाता था. उन्होंने तय किया कि जिन्हें बैंक कर्ज नहीं देता, उन्हें वो कर्ज देंगे. इसी सोच के साथ श्रीराम ग्रुप की शुरुआत हुई.  कुछ ही सालों में ये ग्रुप एक बड़ा साम्राज्य बन गया.  

न आलीशान घर, न मोबाइल फोन का इस्तेमाल

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 न आलीशान घर, न मोबाइल फोन का इस्तेमाल

 

करोड़ों की दौलत होने के बावजूद वो मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते. महंगी संपत्ति खरीदने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है.  उनके पास कोई आलीशान घर नहीं है. न ही ऑडी, मर्सिडीज बेंज, फेरारी.. जैसी लग्जरी गाड़ियां है. 6 लाख रुपये की छोटी कार सी कार से वो सफर करते हैं.  अरबपति होने के बावजूद वो साधारण कपड़े पहनते हैं. लग्जरी से खुद को कोसों दूर रखा है. उन्होंने अपने माथे पर दौलत का भूत नहीं चढ़ने दिया.  

दान देने में सबसे आगे

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 दान देने में सबसे आगे

 

खुद पर खर्च करने में भले ही राममूर्ति त्‍यागराजन दूर हो, लेकिन दान देने में, दूसरों की मदद करने में अव्वल है. उन्होंने 75 करोड़ डॉलर वाली एक कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचकर उस पैसे को दान कर दिया.  

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