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Inspirational Story: 70 साल से मशीन में कैद है ये शख्स, हासिल किया बड़ा मुकाम; संघर्ष को जानकर आंखों में आ जाएंगे आंसू

Paul Alexander Inspirational Story: आपको अगर थोड़ी देर के लिए ही सही बिना बताए किसी कमरे में बंद कर दिया जाए तो आप परेशान हो जाएंगे. गुस्सा करेंगे, बोर होंगे, उकताने लगेंगे या फिर किसी और तरीके से अपनी भड़ास निकालने लगेंगे. यानी संभव है कि आप ऐसी स्थिति में आपा खो बैंठे. लेकिन आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में एक शख्स ऐसा भी है जिसे 60 साल पहले एक मशीन में कैद कर दिया गया था. वो आज तक उसी हालत में जीने को मजबूर है. इस शख्स का नाम पॉल एलेक्जेंडर है. जिनके जीवन जीने की ललक, समाज और दुनिया के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत और दूसरों को प्रेरणा देने जैसे उनके नेक मकसद को जानकर आप भावुक हो जाएंगे, उन पर गर्व करेंगे.

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पॉल अलेक्जेंडर उन लोगों के लिए प्रेरणा की मिसाल हैं, जो छोटी-छोटी परेशानियों और मुसीबतों से घबराकर किस्मत या फिर पूरी कायनात को कोसने लगते हैं. उनके संघर्ष की कहानी मानवजाति के लिए ऐसी मिसाल है, जिससे प्रेरणा लेकर कोई भी अपनी मेहनत और खुद पर भरोसा रखकर विधाता के विधान से भी लड़ सकता है. जब वो 6 साल के थे, तब उन्हें पोलियो हो गया था. शरीर में लकवा मार गया था. आज वो करीब 77 साल के हैं और दुनिया के उन आखिरी लोगों में से एक हैं जो अभी भी लोहे के फेफड़े (Iron Lung) की मदद से जी रहे हैं.

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पॉल का जन्म 1946 में हुआ था. 1952 में अमेरिका में पोलियो ने कोहराम मचाया. पॉल भी इसका शिकार बनें. उनकी गर्दन के नीचे का हिस्सा काम नहीं कर रहा था. सांस लेने में दिक्कत थी. जान बचाने के लिए उन्हें आयरन लंग मशीन में रखा गया. ये उस दौर में वेंटिलेटर जैसी खास मशीन थी. जिसका आविष्कार 1928 में हुआ था. पॉल इस मशीन की मदद से जीने वाले यानी इसमें रहने वाले दुनिया के इकलौते इंसान हैं. जमाना बदल गया. तकनीक बदल गई, पॉल नहीं बदले, उन्होंने इसी मशीन में रहने की बात कही. दरअसल जिस मशीन ने उनकी जान बचाई थी उसे वह नहीं छोड़ना चाहते थे.

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आजतक उनकी बीमारी में सुधार नहीं हुआ. वे अपनी गर्दन के नीचे का हिस्सा बिल्कुल नहीं हिला पा रहे थे. आज भी वे उसी मशीन में बंद हैं. उनके जिंदा रहने के लिए यह बहुत जरूरी है. उन्होंने इतना कुछ सहने के बावजूद भी अपने सपनों को पूरा करने की लिए कोशिशें जारी रखीं. उन्होंने इसी हालत में अपनी पढ़ाई पूरी की और एक किताब भी लिख दी. वो आज की तारीख में एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं.

 

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पॉल ने लेटे लेटे हाईस्कूल पास किया, ग्रेजुएशन की, वकालत में डिग्री ली. वकालत की और अपनी बायोग्राफी लिखी. अपने एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'मैंने कभी हार नहीं मानी और मैं (अब भी) हार नहीं मानूंगा.'

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पॉल ने जिस तरह खुद को जीवित रखा. यह उनकी जीजिविषा को दिखाता है. कीबोर्ड पर अपनी कहानी लिखने के लिए उन्होंने अपनी दोस्त और नर्स नॉर्मन ब्राउन की मदद ली. प्लास्टिक की स्टिक और कलम का उपयोग करके इसे लिखने में उन्हें आठ साल से अधिक लग गए, लेकिन उन्होंने अपनी कहानी पूरी की.  वो अपने मुंह की मदद से ही पेंटिंग भी कर लेते हैं.

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वो अमेरिका में रहते हैं. अब चूंकी पॉल बूढ़े हो गए हैं, इसलिए उन्हें 24 घंटे केयर की जरूरत होती है. वो एक कमरे के अपार्टमेंट में रहते हैं, जिसमें खिड़की भी नहीं है. उनके लिए गो फंड मी पर जब डोनेशन इकट्ठा किया जा रहा था, तो उस पेज पर बताया गया कि वह अपनी आयरन लंग मशीन को मैंटेन करने, इलाज का खर्च उठाने और अपने लिए एक सही घर लेने के लिए परेशानियों का सामना कर रहे हैं. 

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