Vellode Bird Sanctuary Diwali: देशभर में दिवाली (Diwali) बड़े धूमधाम से मनाई गई. बैन के बावजूद भी दिल्ली समेत कई शहरों में खूब आतिशबाजी हुई. पर आप जानकर चौंक जाएंगे कि कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने पक्षियों के खातिर आतिशबाजी से परहेज किया. उन्होंने पिछले 22 साल से दिवाली पर 1 भी पटाखा नहीं चलाया है. और ऐसा 1-2 लोग नहीं बल्कि करीब 900 परिवार करते हैं. जो तमिलनाडु के इरोड जिले के 7 गांवों में रहते हैं. इन लोगों ने दिवाली पर पूजा की. मिठाइयां बांटीं. दीये जलाए लेकिन पटाखे नहीं फोड़े. आइए इसकी वजह जानते हैं.
बता दें कि पक्षियों के खातिर पटाखे नहीं चलाने वाले ये लोग तमिलनाडु के इरोड जिले में रहते हैं. इनके 7 गांव इरोड से 10 किलोमीटर दूर वेलोड बर्ड सैंक्चुअरी के आस-पास हैं. पक्षी पटाखों के आवाज से डर ना जाएं और वेलोड बर्ड सैंक्चुअरी छोड़कर चले ना जाएं, इसका गांव वालों ध्यान रखा. उन्होंने दिवाली पर 1 भी पटाखा नहीं चलाया.
जान लें कि वेलोड बर्ड सैंक्चुअरी में लोकल और माइग्रेटरी प्रजाति के हजारों पक्षी हैं. देश तो देश, विदेश से आकर भी पक्षी यहां बसेरा करते हैं. अक्टूबर और जनवरी के महीने में वह यहां अंडे भी देते हैं. इसी दौरान अंडों को सेने का काम भी किया जाता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बर्ड सैंक्चुअरी के आसपास के गांव वाले दिवाली पर पटाखों से परहेज करते हैं.
गौरतलब है कि वेलोड बर्ड सैंक्चुअरी के आसपास के गांवों में करीब 900 परिवार रहते हैं. इन सभी लोगों ने फैसला किया कि पक्षी ना डरें और यह जगह छोड़कर ना जाएं, इसके लिए कोई भी पटाखे नहीं चलाएगा. बताया जाता है कि पिछले 22 साल से वह हर दिवाली पर ऐसा ही करते हैं.
ऐसा नहीं है कि पक्षियों के चक्कर में इरोड के इन गांवों में दिवाली फीकी रहती है. गांव वाले दिवाली बहुत धूमधाम से मनाते हैं. दिवाली के लिए वह नए-नए कपड़े खरीदते हैं. गांव की तमाम परंपराओं को निभाते हैं. अगर बच्चे नहीं मानते हैं तो उन्हें सिर्फ फूलझड़ी जलाने देते हैं. लेकिन इस बात का हर कोई ध्यान रखता है कि कोई भी पटाखा ना चलाए.
हर बार की तरह इस साल भी इरोड के इन 7 गांव ने अपनी पटाखे ना चलाने की भीष्म प्रतिज्ञा को नहीं तोड़ा. इसकी वजह से वेलोड बर्ड सैंक्चुअरी के पक्षी भी सेफ हैं. शनिवार और रविवार को यहां पटाखे चलाने की कोई भी घटना सामने नहीं आई. (इनपुट- PTI)
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