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Subrata Roy Sahara: अररिया टू गोरखपुर वाया कोलकाता, जानें कैसे बने बिजनेस टाइकून

सुब्रत राय सहारा अब इस दुनिया में नहीं हैं, मेटास्टेटिक मैलिग्नेंसी की वजह से 75 की उम्र में उन्होंने मुंबई में आखिरी सांस ली. सुब्रत राय वो शख्स रहे जिनकी कामयाबी में तरह तरह की बाधाएं आईं. लेकिन उन्होंने अपनी मेधाशक्ति, सूझबूझ के साथ भारतीय उद्योग जगत में खुद के लिए खास जगह बनाई. उनकी कामयाबी उन लोगों के लिए खास है जो कहते हैं कि संशाधनों की कमी उनकी कामयाबी में आड़े आ जाती है.

बिहार के अररिया में हुआ था जन्म

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बिहार के अररिया में हुआ था जन्म

सुब्रत राय सहारा का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया में हुआ था. आश्रम रोड पर उनका घर है. बताया जाता है कि उनके घर तक जाने के लिए सड़क को अपने खर्च पर बनवाया था. मौजूदा समय में उनके परिवार से जुड़ा कोई सदस्य अब नहीं रहता है.

कोलकाता में स्कूली पढ़ाई

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कोलकाता में स्कूली पढ़ाई

अररिया में सुब्रत राय का जन्म हुआ था. हालांकि स्कूली शिक्षा के लिए वो कोलकाता चले गए और अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की, लोग बताते हैं कि शुरुआत से उनका रुझान कुछ अलग करने की थी. कोलकाता से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने गोरखपुर का रुख कर लिया था.

गोरखपुर से खास कनेक्शन

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गोरखपुर से खास कनेक्शन

कोलकाता से शुरुआती पढ़ाई के बाद वो यूपी के गोरखपुर आ गए. यहां से उन्होंने इंजीनियरिंग करने के लिए गोरखपुर आए. हालांकि पढ़ाई में मन नहीं लगने पर उन्होंने पहले कुछ छोटे काम किए. बाद में गोरखपुर से 2000 रुपए की पूंजी का बेहतर इस्तेमाल कर तरक्की की राह पर आगे निकल गए.

लाखों लोगों को दी नौकरी

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लाखों लोगों को दी नौकरी

सुब्रत राय सहारा की कामयाबी को आप इस बात से समझ सकते हैं कि रेलवे के बाद उनके ग्रुप को सबसे बड़ा नौकरी देने वाला माना गया है. सहारा के अलग अलग डिविजन में करीब 12 लाख लोग काम करते थे. 2004 में टाइम मैग्जीन ने भारत में रेलवे के बाद दूसरे सबसे बड़े नियोक्ता का दर्जा दिया था.

चिट फंड से एयरलाइंस तक

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चिट फंड से एयरलाइंस तक

चिट फंड के साथ साथ उन्होंने मीडिया और एयरलाइंस के बिजनेस में हाथ आजमाया. शुरुआती दौर में एयरलाइंस ने प्रतिद्वंदियों को टक्कर दी. हालांकि बाद में एयरलाइंस को बेचना पड़ गया.

इस तरह बिजनेस की शुरुआत

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इस तरह बिजनेस की शुरुआत

80 के दशक में चिट फंड का दौर था. सुब्रत राय को भी उसमें उम्मीद नजर आई और वे इस बिजनेस में हाथ आजमाने लगे. उनके काम करने के तरीके से लोगों का विश्वास बढ़ा और सहारा चिट फंड लोगों की जुबां पर चढ़ गया. सहारा चिटफंड कंपनी छोटे छोटे निवेशकों के लिए उम्मीद की किरण बन गई.

सहारा सिटी भी खास पहचान

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सहारा सिटी भी खास पहचान

सुब्रत राय ने गोरखपुर से कारोबार की शुरुआत की थी. बाद में उन्होंने लखनऊ को बेस बना लिया. लखनऊ में आवासीय परियोजना के तहत सहारा सिटी बनवाया. ऐसा कहा जाता है कि सहारा सिटी में घर लेने के लिये बड़े बड़े लोगों को भी मशक्कत करनी पड़ती थी.

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