Zakir Hussain Life Story: मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे. उन्होंने 15 दिसंबर, रविवार रात अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. उनके निधन की खबर ने हर किसी को गमगीन कर दिया है. उनके फैंस से लेकर तमाम राजनेता से लेकर अभिनेता तक सोशल मीडिया पर उनको श्रद्धांजलि दे रहे हैं. जाकिर हुसैन ने अपनी कला से भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया. लोग उन्हें एक बेहतरीन तबला वादक के रूप में जानते हैं, लेकिन उनकी कई और ऐसी खास बातें भी हैं, जिनके बारे में शायद ही उनके फैंस जानते होंगे. चलिए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी वो खास बातें और यादें.
दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का पर्छम लहराने वाले और भारत का नाम रोशन करने वाले फेमस तबला वादक जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया. उनके परिवार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इस दुखद खबर की पुष्टि की. जाकिर हुसैन अपने पीछे अपने बेहतरीन संगीत की वो धरोहर छोड़ गए, जो हमेशा उनके फैंस के दिलों में उनकी यादों को जिंदा रखेगी. जिसे दुनिया भर के लाखों संगीत प्रेमी आदर और श्रद्धा से याद करेंगे. उनका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक महसूस किया जाएगा. आज हम आपको उनके बारे में कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं.
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था. उनका पूरा नाम जाकिर हुसैन कुरैशी था. उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी था, जो एक प्रसिद्ध तबला वादक थे. उनकी माता का नाम बीवी बेगम था. जाकिर ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल हाई स्कूल से की और फिर सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. 11 साल की उम्र में ही उन्होंने अमेरिका में अपना पहला कंसर्ट किया था. शुरुआत में उन्होंने पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय संगीत में रुचि दिखाई, लेकिन जल्दी ही पश्चिमी संगीत को भी अपनी शैली में शामिल किया.
जाकिर हुसैन ने महज तीन साल की उम्र में अपने पिता अल्लाह रक्खा से संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया था. उनका परिवार संगीत से बहुत जुड़ा हुआ था. उनके पिता अल्लाह रक्खा भी एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, जिन्होंने रविशंकर और अली अकबर खान जैसे बड़े संगीतकारों के साथ काम किया था. जाकिर ने अपने करियर में कई गाने और एलबम बनाए हैं, जिनमें 'लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड' (1973) और 'मेकिंग म्यूजिक' (1987) सबसे फेमस हुए. उन्होंने कई अलग-अलग शैलियों में काम किया है, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत, जैज फ्यूजन, और विश्व संगीत शामिल हैं.
उनकी खास संगीत शैली ने उन्हें पूरी दुनिया में पहचान दिलाई. वे एक महान तबला वादक हैं, जिनकी कला ने दुनियाभर के कला प्रेमियों को प्रभावित किया. वे सिर्फ एक संगीतकार ही नहीं, बल्कि एक शानदार अभिनेता भी रहे हैं. उनकी सोलो एल्बम ‘मेकिंग म्यूजिक’ को काफी लोकप्रियता मिली, जिसकी उन्हें उम्मीद भी नहीं थी. उनका संगीत सिनेमा पर भी गहरा असर डाल चुका है. उन्होंने ‘द परफेक्ट मर्डर’, ‘मिस बीटीज चिल्ड्रन’, ‘साज’ और ‘मंटो’ जैसी फिल्मों के लिए काम किया. उनके जाने के बाद भी उनका संगीत उनकी यादों को फैंस के बीच हमेशा बनाए रखेगा.
उस्ताद जाकिर हुसैन का तबला हर किसी ने सुना होगा और उससे सिखा भी होगा, लेकिन बहुत ही कम फैंस ये बात जानते हैं कि वो बेहतरीन तबला वादक के साथ-साथ एक शानदार अभिनेता भी रहे हैं. उन्होंने 1983 में आई फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ में पहली बार अभिनय किया था. इस फिल्म में शशि कपूर मुख्य भूमिका में थे. इसके अलावा उन्होंने 1998 की फिल्म 'साज' में शबाना आजमी के साथ काम किया, जो विवादों में फंस गई थी. फिल्म में शबाना के प्रेमी के किरदार में जाकिर का अभिनय बहुत सराहा गया. कहा जाता है कि इसकी कहानी लता मंगेशकर और आशा भोसले की जिंदगी से प्रेरित थी.
जाकिर हुसैन को भारत सरकार ने 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. उन्हें 1990 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2018 में रत्न सदस्य जैसी कई उपलब्धियां मिलीं. 1999 में उन्हें 'नेशनल हेरिटेज फेलोशिप' भी मिली, जो कलाकारों का सबसे बड़ा सम्मान है. उनको 5 ग्रैमी अवॉर्ड भी मिल चुके हैं और इसी साल फरवरी, 2024 में तीन ग्रैमी अवॉर्ड मिले. बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बम, बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉर्मेंस और बेस्ट कंटेंपरेरी इंस्ट्रुमेंटल एल्बम. बता दें, उन्होंने कथक डांसर एंटोनिया मिनेकोला से शादी की, जिनसे उनकी दो बेटियां हैं अनीसा और इसाबेला.
ट्रेन्डिंग फोटोज़