Top 10 judgements of CJI DY Chandrachud: मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो गए. उन्होंने अपने लास्ट वर्किंग डे पर शुक्रवार को अहम मामलों की सुनवाई की. उन्होंने AMU से जुड़े एक अहम मामले में 7 जजों की संविधान पीठ की अगुवाई की. उनके कार्यकाल में समलैंगिक विवाह, धारा-370, बुलडोजर एक्शन जैसे कई अहम फैसले आए, जिसके लिए उन्हें याद किया जाएगा. वहीं कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और न्याय की देवी की मूर्ति से पट्टी हटाने जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक फैसले भी उन्होंने अपने कार्यकाल में लिए हैं. अपने कार्यकाल के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ 23 संविधान पीठों का हिस्सा थे और इस दौरान उन्होंने 612 फैसले लिखे. वे 10294 पीठों का हिस्सा थे और उन्होंने ज्वलंत मुद्दों पर फैसले सुनाए. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को 2016 में सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया था और नवंबर 2022 में वे मुख्य न्यायाधीश बने. आइए जानते हैं सीजेआई चंद्रचूड के करियर के 10 बड़े फैसलों के बारे में.
CJI की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया था कि संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत सभी निजी संपत्ति को पुनर्वितरण के लिए समुदाय का भौतिक संसाधन नहीं माना जा सकता.
दिसंबर 2023 में चीफ जस्टिस की अगुवाई में 5 जजों की संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के सरकार के फैसले को बरकरार रखा था. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय आसान करने के लिए अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी.
CJI की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने कैश फॉर वोट यानी नोट के बदले वोट मामले में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि घूस लेने या सदन में सवाल उठाने या फिर भाषण देने के बदले रिश्वत लेने के आरोपी MP-MLA को जेल जाने से छूट नहीं दी जा सकती है. सांसद-विधायक पैसे लेकर काम करते हैं तो उन पर भी मुकदमा चलाया जाएगा. संविधान के अनुच्छेद 105 का हवाला देते हुए फैसले में कहा गया था कि किसी को भी घूसखोरी की छूट नहीं है.
CJI की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर 17 अक्तूबर 2023 को फैसला सुनाया था. SC ने फैसले में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था. CJI ने फैसला पढ़ते हुए कहा था कि समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा देने का काम संसद का है. हालांकि, कोर्ट ने समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दे देते हुए सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा है कि भारत के नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्ति नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता है. एपेक्स कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा, 'कानून के शासन में ‘बुलडोजर न्याय’ पूरी तरह अस्वीकार्य है'. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि बुलडोजर के जरिए न्याय करना किसी भी न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस बनाते हुए 6 प्वाइंट्स का पालन करने का आदेश दिया है, जिसकी अवहेलना करने पर संबंधित अधिकारी पर मुकदमा चलाया जाएगा.
सर्वोच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से राजनीतिक फंडिंग के लिए केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ फैसला सुनाया था. शुरू से ही विवादों में घिरी केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक क़रार दिया था. इस स्कीम के तहत जनवरी 2018 और जनवरी 2024 के बीच 16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे गए थे और इसमें से ज़्यादातर राशि राजनीतिक दलों को चुनावी फंडिंग के तौर पर दी गई थी. चुनावी बॉन्ड्स पर पारदर्शिता को लेकर कई सवाल उठ रहे थे और ये आरोप लग रहा था कि ये योजना मनी लॉन्डरिंग या काले धन को सफ़ेद करने के लिए इस्तेमाल हो रही थी.
जुलाई 2024 में आए फैसले में SC ने पेपर लीक के आरोपों के बाद नीट-यूजी 2024 को रद्द करने की मांग को खारिज करते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया था. याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि पेपर लीक का विस्तार इतना अधिक नहीं था, जिससे परीक्षा की सुचिता प्रभावित हो. यानी SC ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग से जुड़ी याचिका खारिज करते हुए टॉपर छात्रों को दोबारा परीक्षा का विकल्प दिया गया था.
पांच जजों की बेंच ने बहुमत ने माना था कि मासिक धर्म आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश से वंचित करना असंवैधानिक था. पीठ ने माना कि इस तरह की प्रथा महिलाओं के धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है. जस्टिस चंद्रचूड़ की सहमति वाली राय में कहा गया कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाना एक "आवश्यक धार्मिक प्रथा" नहीं है.
SC की पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि विवादित भूमि को राम मंदिर के निर्माण के लिए गठित किए जाने वाले ट्रस्ट को सौंप दिया जाए और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए साइट के पास या अयोध्या में किसी उपयुक्त प्रमुख स्थान पर अधिग्रहित भूमि में से 5 एकड़ जमीन दी जाए.
भारत की जेलों में जाति के आधार पर कैदियों से होने वाले भेदभाव पर SC ने 3 अक्टूबर 2024 को रोक लगाई थी. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने तब अपने ऐतिहासिक फ़ैसले में जेलों में जाति के आधार पर काम का बंटवारा करने और भेदभाव को गैर कानूनी करार देते हुए 10 राज्यों के जेल मैनुअल में शामिल ऐसे नियमों को असंवैधानिक करार दिया और उनमें संशोधन करने का निर्देश दिया था.
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