भारत विविधताओं से भरा एक ऐसा देश है, जहां के हर राज्य की अपनी एक अलग संस्कृति और बोली-भाषा हैं. इतनी डायवर्सिटी के बीच एक चीज हैं जो हम करोड़ों भारतीयों को एक डोर में पिरोए हुए है. हम बात कर रहे हैं हिंदी भाषा के बारे में, जो भारत की राजभाषा और आधिकारिक भाषा है.
हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा का दर्जा दिया गया था. आज 10 जनवरी को हम वर्ल्ड हिंदी डे सेलिब्रेट कर रहे हैं. इस खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर हर साल विश्व हिंदी विश्व दिवस क्यों मनाया जाता है....
हम भारतीय अपने लेखन और बोलचाल में कई भाषाओं और लिपियों का प्रयोग करते आ रहे हैं, लेकिन हिंदी एक ऐसी भाषा है जो हम सभी को आपस में जोड़कर रखती है और हिंदी की लिपि देवनागरी है. हम भारतीयों के लिए हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान है, इसमें हम अपनी भावनाएं जाहिर करने में बहुत ही समझ महसूस करते हैं, तभी तो हम बड़े गर्व से कहते हैं "हिंदी हैं हम".
यह कहना जरा भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि हिंदी भाषा को विदेशों में बसे भारतीयों ने विश्व स्तर पर एक खास पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अब धीरे-धीरे दूसरे देशों में भी हिंदी भाषा लोकप्रिय हो रही है. हिंदी भाषा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकते हैं कि साल 2017 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में कुछ हिंदी के शब्दों के जोड़ा गया है, जिसमें बच्चा, बड़ा दिन, अच्छा और सूर्य नमस्कार जैसे शब्द शामिल हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए 2006 में हर साल 10 जनवरी को हिंदी दिवस मनाने का ऐलान किया था. जिसका उद्देश्य दुनियाभर में हिंदी का विकास करने और एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के तौर पर इसे प्रचारित-प्रसारित है. इसके अलावा विदेशों और वहां रह रहे भारतीयों को हिंदी भाषा के महत्व को बताने और इसे अहम स्थान दिलाने के लिए ही हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है.
पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था. हिंदी दुनियाभर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली पांच भाषाओं में से एक है. हर साल वर्ल्ड हिंदी डे की थीम अलग-अलग रखी जाती है. इस साल विश्व हिंदी दिवस सम्मेलन हिंदी पारंपरिक ज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर केंद्रित है. विश्व हिंदी दिवस 2024 की थीम 'हिंदी पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक" है.
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