भानुरेखा गणेशन. ये है बॉलीवुड की 'उमराव जान' रेखा का असील नाम. जो 10 अक्टूबर को 70 साल की हो गई हैं. रेखा की पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी हमेशा ही चर्चा में रही है. आजतक लोग जानना चाहते हैं कि आखिर वह किसके नाम का सिंदूर मांग में भरती हैं. सिर्फ आम फैंस ही नहीं राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी ने भी उनसे ये सवाल पूछ लिया था. चलिए रेखा के बारे में बताते हैं दिलचस्प बातें.
'रेखा द अनटोल्ड स्टोरी' किताब के मुताबिक, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह का मौका था. तब के राष्ट्रपति सबको पुरस्कारों से सम्मानित कर रहे थे. उस साल रेखा को 1981 की कल्ट फिल्म उमराव जान के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिल रहा था. तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी ने तब रेखा को ये सम्मान दिया. उनसे कुछ गुफ्तगू भी की. तब राष्ट्रपति ने रेखा से पूछा, 'आप मांग में सिंदूर क्यों भरती हैं?' रेखा ने जवाब दिया था, 'मैं जिस शहर से आती हूं, वहां मांग में सिंदूर भरना आम बात है...फैशन है.'
अब इस जवाब से ही समझ जाइए कि रेखा कितनी बेबाक-बिंदास हैं. रेखा ने करियर में काफी तरह के दर्द झेले हैं. लोगों ने उनपर उंगलियां उठाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. उनका नाम कई एक्टर्स के साथ भी जुड़ा. खैर इन सब बातों के बीच 1990 में रेखा ने दिल्ली बेस्ड बिजनेसमैन मुकेश अग्रवाल से शादी की. मगर उन्हें तब नहीं पता था कि जिंदगी में एक ओर गम दस्तक देगा. ये शादी महज 8 महीनों में दर्दनाक अंजाम तक पहुंच गई. हुआ ये कि रेखा के पति ने डिप्रेशन में आत्महत्या कर ली. तब सास ने डायन तक कहा पर रेखा ने अपनी रेखा कभी पार नहीं की.
रेखा ने सब इल्जामों पर एक पुराने इंटरव्यू में चुप्पी तोड़ी. रेखा ने कहा था, 'मैं चुलबुली थी. 3 साल की उम्र से फिल्मों में काम कर रही हूं. साल 1975 में मैंने खुद को समेट लिया. ये तब हुआ जब फिल्मी मैगजीन ने अंट शंट छापना शुरू कर दिया. बस फिर मैं चुप हो गई.' सिमी ग्रेवाल के शो में रेखा से जब पूछा गया कि 'भानुरेखा' क्या करना चाहती थी. तब रेखा ने कहा था, 'एक्टर तो बिल्कुल भी नहीं बनना चाहती थीं. मैं शादी कर के घर बसाना चाहती थी.'
रेखा ने बताया था कि उन्हें एक्टिंग का शौक नहीं था. लेकिन परिवार और जिम्मेदारियों के चलते उन्हें फिल्मों में आना पड़ा. लेकिन अपने काम को दिल से करना उन्हें अच्छे से आता था. 'घर' में रेप विक्टिम का किरदार उन्होंने शिद्दत से निभाया और ये उनकी फेवरेट फिल्म बन गई थी. लेकिन आगे चलकर उन्हें खुद की 'खून भरी मांग' ज्यादा पसंद आई थी.
रेखा ने नागिन (1976), मुकद्दर का सिकंदर (1978), मिस्टर नटवरलाल (1979), खूबसूरत (1980), उमराव जान (1981), खून भरी मांग (1988) जैसी हिट पर हिट फिल्में दीं तो 1996 में आई खिलाड़ियों का खिलाड़ी में नेगेटिव रोल प्ले करके साबित कर दिया कि वह हर रोल में फिट हैं.
एजेंसी: इनपुट
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