दरअसल, 'P.H.' का मतलब पैसेंजर हॉल्ट है. रेलवे स्टेशन ऐसा इसलिए लिखा होता है, जिसका मतलब है जो सिर्फ पैसेंजर ट्रेनों के लिए होता है. मालगाड़ियां या मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें इस स्टेशन पर नहीं रुकतीं.
'P.H.' का मतलब है 'पैसेंजर हॉल्ट'. ये स्टेशन वास्तव में क्लास 'डी' स्टेशनों के अंतर्गत आते हैं. इन स्टेशनों पर लूप लाइन और सिगनल नहीं होने के कारण कोई कर्मचारी तैनात नहीं होते हैं. इसलिए, इन स्टेशनों पर ट्रेन केवल यात्रियों को उतारने और चढ़ाने के लिए रुकती है.
पैसेंजर हॉल्ट आमतौर पर छोटे गांवों या दूरदराज के क्षेत्रों में पाए जाते हैं. लेकिन एक पैसेंजर ट्रेन का लोको पायलट रुक जाता है और यहां से खुद ही चल पड़ता है. लोको पायलट निर्देशानुसार, ट्रेन को यहां 2 मिनट के लिए रोक देता है.
इन स्टेशनों पर टिकट कौन बेचता है, यह सवाल आ रहा होगा. टिकट बेचने के लिए रेलवे विभाग संविदा और कमीशन के आधार पर स्थानीय व्यक्ति की नियुक्ति करता है.
यदि रेलवे विभाग टिकटों की बिक्री की संख्या अधिक पाता है, तो वह इन स्टेशनों पर टिकट काउंटर, प्लेटफॉर्म और फुट ओवर ब्रिज जैसी कुछ सुविधाएं जोड़ता है.
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