Why Kerala Is Soft Target Of Pandemic Like Corona: आपको याद होगा कि साल 2020 में भारत में कोरोना वायरस महामारी का पहला केस केरल में आया था. अब कोविड-19 का नया वेरिएंट JN.1 का पहला मरीज इसी दक्षिणी राज्य में मिल चुका है, यहां कोरोना के 111 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, उनकी जांच हो रही है कि वो किस वेरिएंट से पीड़ित हैं. हालांकि एक की मौत ने सभी को डरा दिया है आपने कभी सोचा है इंडिया में ज्यादातर वैश्विक महामारी की शुरुआत केरल में क्यों होती है?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक 27 जनवरी 2020 कोरोना वायरस (Coronavirus), 8 जुलाई 2021 को जीका वायरस (Zika Virus), सितंबर 2023 को निपाह वायरस (Nipah Virus) के शुरुआती मामले केरल में ही दर्ज किए गए थे, आइए जानते हैं कि ये राज्य अलग-अलग महामारी का सॉफ्ट टारगेट कैसे बन जाता है.
भारी तादात में केरल के निवासी या तो विदेशों में बसे हैं या फिर नौकरी, बिजनेस और ट्रैवलिंग के सिलसिले में बाहर जाते हैं, ऐसे में अपने वतन वापस लौटने वालों की संख्या भी कम नहीं होती. यही वजह है कि वायरस की एंट्री केरल से होने का खतरा पैदा हो जाता है.
क्षेत्रफल के लिहाज से केरल भारत के कई राज्यों से छोटा है, लेकिन यहां कन्नूर (Kannur), कोच्चि (Kochi), कोझिकोड (Kozhikode) और त्रिवेंद्रम (Trivandrum) को मिलाकर कुल 4 इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं जो वायरस की एंट्री की वजह बन जाते हैं.
जब भी वर्ल्ड लेवल पर कोरोना, जीका या निपाह जैसे वायरस का प्रकोप बढ़ता है, तब केरल हाई अलर्ट पर आ जाता है और यहां रैंडम टेस्टिंग बढ़ा दी जाती है, इसी कड़ी में अक्सर महामारी का पहला मरीज इस राज्य में मिलता है.
हालांकि फिलहाल कोविड-19 के नए वेरिएंट JN.1 के ज्यादातर मरीजों में हल्के लक्षण पाए गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है. अगर पैंडेमिक को सही तरीके से मैनेज किया जाएगा तो इसके संभावित खतरे को कम किया जा सकता है.
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