संसद से पारित कृषि कानूनों (Agricultural law) के खिलाफ किसान पिछले 7 दिनों से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं. वहीं इस मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष के नेता भी आपस में भिड़े हुए हैं. सत्ता पक्ष के नेताओं ने इन कानूनों को किसान समर्थक बताया है. वहीं विपक्षी नेता इन्हें काला कानून बताकर वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि,' मोदी सरकार टकराव पर नहीं TALK पर विश्वास रखती है. मुझे याद है, वर्ष 2013 में यूपी के किसानों का तीन महीने तक आंदोलन चला था. लेकिन सरकार ने किसानों से बात तक नहीं की. जबकि हमारी सरकार किसानों के लिए समर्पित है. इसलिए किसानों से बातचीत कर रही है'.
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किया गया नया कृषि कानून किसान विरोधी बिलकुल नहीं है बल्कि ये किसानों को और बल देता है. इस बिल के अंतर्गत एमएसपी का सुरक्षा जाल तो बना रहेगा ही और नए विकल्पों को भी जोड़ेंगे जो किसानों के पास हैं.
केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने कहा कि, 'कुछ लोगो को किसानो को भड़काना है. मैं कुछ लोगो को देखता हूं, वे किसान ही नहीं हैं. विपक्ष बहकाने का काम करता है. जो चीज किसान के हित में है, वह की गई है. स्वामीनाथन आयोग में मांग की गई थी कि किसान के पास अपनी फसल बेचने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, वह किसी चीज से बंधा न रहे. सरकार ने यह कर दिया है. इन कानूनों से किसानों को परेशानी नहीं हो रही है बल्कि बाकी लोगों को हो रही है. विपक्ष के साथ उन लोगों का हाथ है, जो कमीशन खाते हैं.
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए सरकार पर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि,'किसानों की आय दुगनी होगी क्या. ‘मित्रों’ की आय हुई चौगुनी और किसान की होगी आधी. झूठ की, लूट की, सूट-बूट की सरकार'.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि,'शर्मनाक है मोदी सरकार के मंत्रियों का ये व्यवहार और अपमानजनक भाषा! अब किसान होने और दिखने का सर्टिफ़िकेट भी मोदी सरकार से लेना पड़ेगा? ये किसान-मज़दूरों के प्रति भाजपाई दुर्भावना का जीता जागता सबूत है. ऐसे मंत्रियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए'.
CPM नेता हन्नान मु्ल्ला ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,'पीएम क्यों रोज बोलते हैं कि कृषि कानून अच्छा है. हमारी एक ही मांग है - काला कानून वापस लो. जहां जहां कमी है, वो लिख कर दे दो, चर्चा करेंगे और जरूरत पड़ने पर बदलेंगे. समाधान नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा. सरकार की कमिटी सरकार की चालाकी है'.
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