Apara Ekadashi 2021: अपरा एकादशी के दिन बन रहा है Shobhan Yog, जानें क्‍यों है खास
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Apara Ekadashi 2021: अपरा एकादशी के दिन बन रहा है Shobhan Yog, जानें क्‍यों है खास

ज्‍येष्‍ठ महीने के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को अपरा या अचला एकादशी कहते हैं. इस व्रत का बहुत महत्‍व है और इस बार अपरा एकादशी पर शोभन योग भी बन रहा है. यह योग ज्‍योतिषीय दृष्टि से बहुत अहम है. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: हिंदू धर्म में वैसे तो सभी एकादशी (Ekadashi) तिथि का विशेष महत्व है क्‍योंकि यह  भगवान विष्णु को समर्पित होती है. लिहाजा कई लोग पूरे साल सभी एकादशी पर व्रत रखते हैं और भगवान विष्‍णु (Lord Vishnu) की पूजा करते हैं लेकिन ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का अलग ही महत्‍व है. इस एकादशी को अपरा या अचला एकादशी (Achala Ekadashi) कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) का व्रत और पूजन (Vrat and Pujan) करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं. इसके अलावा मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है. इस बार अपरा एकादशी 5 जून को पड़ रही है. 

  1. इस बार जरूर करें अपरा एकादशी का व्रत 
  2. इस व्रत से पाप मुक्ति और मनोकामनाएं पूरी होती हैं 
  3. अपरा एकादशी पर बन रहा है शोभन योग  

बन रहा है शोभन योग 

इस अपरा एकादशी पर शोभन योग (Shobhan Yog) बन रहा है. एकादशी तिथि 5 जून 2021 को सुबह 04 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर 6 जून 2021 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. इसी बीच 6 जून को शोभन योग सुबह 4 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इसके बाद अतिगण्ड योग लग जाएगा. शुभ कार्यों और यात्रा पर जाने के लिए शोभन योग उत्तम माना गया है. इस योग में शुरू की गई यात्रा मंगलमय एवं सुखद रहती है.

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ये है अपरा एकादशी की व्रत-पूजन विधि

एकादशी के दिन सबसे पहले स्‍नान करके साफ वस्‍त्र पहनकर भगवान के सामने  एकादशी व्रत का संकल्‍प लें. उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें. वेदी के ऊपर एक कलश की स्‍थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं. इस वेदी पर भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर रखकर उन्‍हें पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद धूप-दीप से भगवान की आरती करें. शाम के समय भी आरती करें और उसके बाद ही फलाहार करें. इस व्रत में रात में सोने की बजाए भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए. अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं, उन्‍हें दान-दक्षिणा दें और इसके बाद खुद भोजन करें.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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