Astrology: हर व्यक्ति अमीर बनना चाहता है और ज्योतिष में यह जानने का तरीका भी बताया गया है कि उसका सपना किस हद तक पूरा हो सकता है. कुंडली में बने योग इस बारे में बताते हैं.
Trending Photos
Dhan Yog : आज हर व्यक्ति अपनी कुंडली में धन योग के विषय में जानना चाहता है. अगर लक्ष्मी मां की कृपा कुंडली में बरसने लगे तो व्यक्ति को करोड़पति और अरबपति बनने में समय नहीं लगता है और जीवन में दरिद्रता अगल-बगल भटकती भी नहीं है. ग्रहों की स्थिति देखकर यह अंदाजा लग जाए कि यह बच्चा आगे चलकर बहुत धनवान होगा, तो माता-पिता की आधी से ज्यादा चिंता समाप्त हो जाती है. कुंडली के योग से ही हम पूत के पाँव पालने में देख सकते हैं. एक से अधिक ग्रहों से मिलकर बनते हैं योग और यदि यह योग धन से संबंधित हो, तो निश्चित रूप से धन प्राप्ति होती है. इसमें कोई संदेह नहीं कि उचित समय आने पर योग फलित होते हैं. ऐसी कौन सी स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति टाटा बिरला, अंबानी, अडानी जैसे धनाढ्य बन जाते हैं. आज हम लोग एक ऐसे योग के विषय में बात करेंगे जो सभी योगों पर भारी होता है.
महाभाग्य योग ही काफी
मेहनत करके पैसा कमाने की एक सीमा है, लेकिन धनाढ्य बनने के लिए मेहनत के साथ-साथ भाग्य का बल होना बहुत जरूरी है. कुंडली में अगर महाभाग्य बन जाए, तो भाग्य का महा सपोर्ट हो जाता है जिससे व्यक्ति दिन दोगुनी और रात चौगुनी उन्नति करने लगता है. महाभाग्य योग बनने से व्यक्ति अनेक विषम परिस्थितियों होने के बावजूद जीवन में उन्नति के साथ खराब योग को भी पीछे धकेलने की दम रखता है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह योग भाग्यवान से भी बड़ा महाभाग्यवान बनाने वाला है. ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह योग बालक व बालिका दोनों की कुंडली में अलग-अलग तरह से बनता है. यह चारों स्थिति होंगी तब बनेगा महाभाग्य योग, ध्यान रहे कि निम्न चार कंडीशन में से एक भी न हुई तो नहीं बनेगा महाभाग्य योग.
बालक - बालक का दिन में जन्म हो यानी सूर्य निकलने के बाद से लेकर सूर्य के डूबने तक, जिस समय उसका जन्म हो उस समय उसकी लग्न विषम (odd) हो, जैसे मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ लग्न हो.चंद्रमा भी विषम(odd) राशि में हो जैसे मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ
सूर्य भी विषम(odd) राशि में हो जैसे मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ
बालिका - बालिका का रात्रि में जन्म हो यानी सूर्य डूबने से सूर्योदय के बीच तक
जन्म के समय लग्न सम (even) हो, जैसे वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन
चंद्रमा भी सम (even) राशि में हो, जैसे वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन .
सूर्य भी सम (even) राशि में हो, जैसे वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन
यह परिवर्तन बनाता है अरबपति
कुंडली में दूसरा भाव जो की कोष का होता है यानी बैंक का और 11वां भाव लाभ का होता है यानी इनकम का. इन दोनों घरों के स्वामी ग्रह यदि अपने घर में ही हो जिसे ज्योतिष की भाषा में स्वग्रही कहते हैं, तो यह धनाढ्य बनाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. इससे भी अच्छी एक स्थिति है, अगर बैंक के स्वामी और इनकम के स्वामी का राशि परिवर्तन हो जाए तो बहुत ही धन संपदा प्राप्त होती है.
सरल भाषा में समझना है कि यदि लाभ भाव का स्वामी, कोष भाव में जाकर बैठ जाए और कोष भाव का स्वामी लाभ भाव में जाकर बैठ जाए तो स्थिति बहुत अच्छी होती है. किसी बच्चे की कुंडली में अगर यह स्थिति है तो बचपन में पूत के पांव पालने में दिख जाएंगे कि यह बालक या बालिका आगे चलकर करोड़पति, अरबपति बनेगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)