पहला बड़ा मंगल 2024 : आज 28 मई को पहला बड़ा मंगल है, जिसे बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है. बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
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Bada Mangal 2024 : ज्येष्ठ महीने के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. बड़ा मंगल हनुमान जी की विशेष कृपा पाने का सुनहरा मौका होते हैं. मान्यता है कि बड़ा मंगल के दिन ही हनुमान जी पहली बार प्रभु राम से मिले थे. साथ ही ज्येष्ठ माह के मंगलवार में ही हनुमान जी वृद्ध वानर का रूप रखकर परमशक्तिशाली भीम का घमंड तोड़ा था. इसलिए बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी के वृद्ध स्वरूप की पूजा की जाती है और इसलिए इसे बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है. बड़ा मंगल के दिन भगवान हनुमान जी के साथ भगवान श्री राम और माता सीता की आराधना करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं. आइए जानते हैं कि आज पहले बड़े मंगल पर बजरंगबली की पूजा के शुभ मुहूर्त क्या हैं. साथ ही हनुमान जी की पूजा विधि और आरती भी.
बड़ा मंगल 2024 पूजा मुहूर्त
ज्येष्ठ माह का पहले बड़ा मंगल पर पूजा करने के लिए 2 शुभ मुहूर्त हैं. इसके लिए पहला शुभ मुहूर्त 28 मई की सुबह 06.06 मिनट से 12:47 मिनट तक का है. वहीं बड़ा मंगल पर हनुमान जी की पूजा के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11:51 से दोपहर 12.46 बजे तक है. बड़ा मंगल पर हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करें और उन्हें बेसन या बूंदी के लड्डुओं का भोग लगाएं.
बड़ा मंगल पूजा-विधि
बड़ा मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग के साफ कपड़े पहन लें. फिर बजरंगबली को लाल रंग के फूल अर्पित करने के बाद सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर चोला चढ़ाएं. उन्हें चना, गुड़, केले, नारियल बेसन या बूंदी के लड्डूओं का भोग लगाएं. घी का दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें. इस दिन 'ॐ हनु हनु हनु हनुमते नमः' मंत्र का जाप करना भी बेहद शुभ फल देता है. आखिर में हनुमान जी की आरती करें. इस दिन हनुमान जी के साथ-साथ प्रभु श्री राम और माता सीता की भी उपासना करें. अंत में क्षमा प्रार्थना करें.
बड़ा मंगल का उपाय
यदि आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो बड़ा मंगल का दिन यह समस्या को दूर करने के लिए बहुत अच्छा है. इसके लिए बड़े मंगल पर हनुमान जी के साथ प्रभु श्री राम जी की पूजा करें. साथ ही रामायण का पाठ भी करें. कुछ ही दिन में धन की आवक बढ़ने लगेगी.
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
पैठी पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
(Dislaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)