Bhai Dooj Pauranik Katha: होली के त्योहार के बाद भाई दूज पर्व मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं. जानें इस साल भाई दूज मनाने का शुभ मुहूर्त.
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Holi Bhai Dooj 2024 Date Shubh Muhurat: भाई दूज पर्व साल में 3 बार मनाया जाता है. होली, दिवाली और रक्षाबंधन जैसे प्रमुख त्योहारों के बाद भाई दूज पर्व मनाते हैं. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. मान्यता है कि दिवाली के बाद मनाई जाने वाली भाई दूज के दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना के घर जाकर भोजन किया था और वचन दिया था कि जो भी व्यक्ति भाई दूज के दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवाएगा, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी. इसी तरह होली के बाद भाई दूज मनाने को लेकर भी एक पौराणिक कथा है. आइए जानते हैं इस साल होली के बाद भाई दूज कब मनाई जाएगी और इससे जुड़ी कथा.
होली भाई दूज 2024 शुभ मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन होने के बाद अगले दिन प्रतिपदा तिथि को रंगों की होली खेली जाती है. फिर इसके अगले दिन चैत्र कृष्ण द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाई जाती है. पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 मार्च 2024 को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट से होगी और 27 मार्च 2024 को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार होली वाली भाई दूज 27 मार्च 2024 को मनाई जाएगी. इसी दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस साल भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने के 2 शुभ मुहूर्त हैं.
भाई दूज मनाने का पहला शुभ मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 54 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक
भाई दूज मनाने का दूसरा मुहूर्त- दोपहर 03 बजकर 31 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 04 मिनट तक
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होली के बाद क्यों मनाते हैं भाई दूज?
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार होली के बाद एक भाई अपनी बहन से मिलने उसके गांव जा रहा था. रास्ते में कई ऐसे हादसे हुए, जिसमें उसकी जान जाते-जाते बची. वह नदी में डूबने से बचा. फिर उसका सामना सांप और शेर से हुआ. भाई ने उनको वचन दिया कि उसे पहले अपनी बहन से मिल लेने दें उसके बाद आकर वह अपने प्राण दे देगा. इसके बाद भाई अपनी बहन के यहां पहुंचा और सारी बात बताई. तब बहन ने भाई का तिलक लगाया और उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना की. बदले में भाई ने अपनी बहन की रक्षा करने का वचन दिया. इसके बाद बहन की प्रार्थना रंग लाई और भाई की प्राणरक्षा हुई. तब से ही भाई बहन के इसी अटूट बंधन, प्रेम और समर्पण को और प्रगाढ़ करने के लिए भाई दूज का ये पावन पर्व मनाया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)