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नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार जिस तरह हर महीने 2 एकादशी (Ekadashi) पड़ती है ठीक उसी तरह हर महीने में 2 बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है और इस दिन भोले शंकर की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष औऱ मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) कहा जाता है और इसे बेहद शुभ भी माना जाता है. माघ मास के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत इस बार मंगलवार 9 फरवरी के दिन है.
मंगलवार (Tuesday) के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को काफी शुभ फलदायी माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव के साथ ही हनुमान जी (Lord Hanuman) की भी कृपा प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भौम प्रदोष का व्रत रखने से व्यक्ति सभी प्रकार के कर्ज के भार से मुक्त हो जाता है. साथ ही उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, संतान सुख प्राप्त होता है और सेहत भी बेहतर बनी रहती है.
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माघ मास का भौम प्रदोष व्रत 9 फरवरी मंगलवार को रखा जाएगा.
माघ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 9 फरवरी मंगलवार सुबह 3 बजकर 19 मिनट से
माघ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त- 9 फरवरी मंगलवार रात 2 बजकर 5 मिनट तक
प्रदोष व्रत का शुभ समय (प्रदोष काल)- 9 फरवरी शाम 6 बजकर 7 मिनट से 8 बजकर 42 मिनट तक
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प्रदोष व्रत की पूजा विधि
भौम प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में यानी शाम के समय महादेव भगवान शिव और पार्वती की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है. इसके लिए-
- सबसे पहले भगवान शिव के चरणों में गंगाजल अर्पित करें और उन्हें फूल-माला चढ़ाएं.
- अगर घर में शिवलिंग है तो उसका भी गंगाजल से अभिषेक करें.
- भगवान शिव को चंदन लगाएं और शिवलिंग पर भी चंदन चढ़ाएं.
- फिर शिवजी को भांग, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें.
- धूप, दीप, अगरबत्ती से पूजा करें और भोग लगाएं.
- पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप, शिव पुराण और शिव चालीसा का पाठ करना भी शुभ फलदायी माना जाता है.